गरीब सवर्णों को आरक्षण से कितनों का भला होगा, इस सवाल पर सार्थक बहस की जगह हर ओर शोर बरपा है कि इससे दिल्ली दरबार पर काबिज भाजपा का कितना फायदा होगा? क्या इस दांव से सरकार ने विपक्ष के हमलों की धार कुंद कर दी है? चुनावी साल में ऐसे सवाल उठने लाजिमी हैं। इस चर्चा की एक और बड़ी वजह यह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के...
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‘आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं, नया विधेयक संविधान का उल्लंघन है’
नई दिल्ली: भारत सरकार के पूर्व सचिव पीएस कृष्णन सामाजिक न्याय के कई ऐतिहासिक कानूनों को लागू करने के पीछे महत्वपूर्ण लोगों में से एक थे. मोदी सरकार द्वारा नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने को लेकर उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान का उल्लंघन है और ये न्यायिक जांच का सामना नहीं कर सकता है. द वायर से बात करते हुए, कृष्णन ने कहा...
More »क्या कहती है सबरीमाला की राजनीति- एस, श्रीनिवासन
आखिरकार नए साल में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं ने सबरीमाला में प्रवेश करके अपने भगवान अयप्पा की पूजा-अर्चना करने में कामयाबी हासिल कर ली। उन्हें यह सफलता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन महीने बाद मिल पाई है। ऐसा लगता है कि केरल की वाम मोर्चा सरकार औरतों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए माकूल वक्त का इंतजार कर रही थी। जिन दो महिलाओं...
More »दूसरे राज्यों से आए लोगों, युवाओं की निराशा के चलते अपराध बढ़े हैं: दिल्ली पुलिस आयुक्त
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 2017 की तुलना में 2018 में वार्षिक अपराध दर में छह प्रतिशत वृद्धि होने पर बुधवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने इसके लिए दूसरे राज्यों से आए लोगों (प्रवासियों) के अलावा अधिक महत्वाकांक्षा और युवाओं में बढ़ती निराशा को जिम्मेदार बताया है. हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, 2018 के लिए वार्षिक अपराध आंकड़ों को पेश करते हुए पटनायक ने कहा, ‘जब...
More »कृषि क़र्ज़ माफ़ी उतनी ग़लत नीति नहीं है जितनी कि लोग सोचते हैं: अमर्त्य सेन
नई दिल्ली: प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि कृषि कर्ज मांफी उतनी गलत या मूर्खतापूर्ण नीति नहीं है जितनी की लोग सोचते हैं. मिंट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि कर्ज माफी पूरी तरह से गलत नीति है. उन्होंने कहा, ‘कृषि संकट कई समस्याओं में से एक है. 1920 के दशक से ही हम इस पर चर्चा...
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