मध्यकालीन भारत पर दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञों में गिने जाने वाले इरफान हबीब आजकल भारत के जन इतिहास शृंखला पर काम कर रहे हैं. इसके तहत दो दर्जन से अधिक किताबें आ गई हैं. हिन्दी पत्रिका तहलका के रेयाज उल हक के साथ बातचीत में वे बता रहे हैं कि किस तरह इतिहासकारों के लिए वर्तमान में हो रहे बदलाव इतिहास को लेकर उनके नजरिए को भी बदल देते...
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अमीर देशों के समूह में भारत भी होगा शामिल!
नई दिल्ली। आज जब दुनिया के तमाम अमीर देश आर्थिक संकट से उबरने के रास्ते तलाश रहे हैं, उस वक्त भारत की आर्थिक विकास दर जोरदार रफ्तार पकड़े हुए है। वित्त वर्ष 2009-10 की अंतिम तिमाही में जीडीपी में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि इसका साफ सबूत है। इस विकास दर ने दुनिया के तमाम मुल्कों को चौंका दिया है। यही वजह है कि अब कृषि प्रधान मुल्क को गांठने के लिए इन अमीर देशों...
More »सीआईआई बनाएगा कृषि को मुनाफे वाला
अगले कुछ बरसों के भीतर राज्य में कृषि उत्पादन को दोगुना करने के उत्तर प्रदेश सरकार के लक्ष्य से प्रेरणा लेते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने प्रदेश में वृहद आयोजनों की योजना बनाई है, जो कि किसान और कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित होंगे। इसके तहत सीआईआई प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो कृषि संबंधी सम्मेलन का आयोजन राज्य सरकार के सहयोग से करेगी। सम्मेलन में इस बात पर मंथन किया जाएगा कि किस तरह कृषि...
More »बुढ़ाएगा चीन जवां होंगे हम
नई दिल्ली [अरविंद चतुर्वेदी]। हम नहीं कह रहे हैं। यह चीन के जनसंख्या और विकास शोध केंद्र के महानिदेशक की चिंता है। चीन के मुख-पत्र पीपुल्स डेली में प्रकाशित खबर में महानिदेशक जियांग वीपिंग के हवाले से कहा गया है कि साल 2050 तक चीन का हर चौथा व्यक्ति 65 साल से अधिक उम्र का हो जाएगा। अब हम यह कह रहे हैं कि इस स्थिति में उस समय हिंदुस्तान चीन से ज्यादा युवा देश होगा।...
More »किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा
कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...
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