SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 968

आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?

जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...

More »

राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी

सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...

More »

सिमट सिमट जल भरहिं तलाबा- अनुपम मिश्र

आज हर बात की तरह पानी का राजनीति भी चल निकली है। पानी तरल है, इसलिए उसकी राजनीति भी जरूरत से ज्यादा बहने लगी है। देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसे प्रकृति उसके लायक पानी न देती हो, लेकिन आज दो घरों, दो गांवों, दो शहरों, दो राज्यों और दो देशों के बीच भी पानी को लेकर एक न एक लड़ाई हर जगह मिलेगी। मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि...

More »

प्रदेश में परियों को पढ़ाने से है परहेज

नई दिल्ली. हरियाणा की जमीनी हकीकत क्या है इसे योजना आयोग ने साफ कर दिया है। कल हमने हेल्थ के हालात पर आंकड़ों के जरिए हकीकत बयान की थी। जन सरोकारों वाली इस रिपोर्ट में आज प्रदेश में महिला शिक्षा की स्थिति का जायजा लीजिए। प्रदेश में रोज खुल रहे नए विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना शिक्षा के क्षेत्र में नई सुबह ला रही है। लेकिन इस सुबह की...

More »

350 इकाइयों की आर्थिक सेहत बिगड़ी

मंडी। वित्त प्रबंधन के अभाव में प्रदेश की सैकड़ों सूक्ष्म, लुघ और मध्यम, औद्योगिक इकाइयों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों के लिए लोन लेने के लिए कड़े बैंक नियमों के चलते ऐसी इकाइयों को समय पर उपलब्ध न हो पाने के कारण उत्पादन के मामले में पूरी तरह से पिछड़ चुकी है। बैंकों का सख्त रवैया वित्त सुविधा उपलब्ध न हो पाने के कारण पिछले एक दशक में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close