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सूचना क्रांति के बीच सूचना ही संदिग्ध - पीयूष पांडे

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के विकीपीडिया प्रोफाइल को 27 जून को किसी ने बदल दिया और उन्हें मुस्लिम बता दिया। उनके पिता मोतीलाल नेहरू और उनके दादा के प्रोफाइल पेज पर भी इसी तरह छेड़खानी की गई। इतना ही नहीं, नेहरू के बारे में कुछ अन्य आपत्तिजनक बातें भी प्रोफाइल में जोड़ी गईं। आरोप लगाया गया कि जिस आईपी एड्रेस से यह छेड़खानी की गई, वो केंद्र सरकार...

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सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना : समावेशी जुबान, मंशा अनजान!

आजादी के बाद भारत में गरीबी रेखा तय करने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों की सूची में पिछले कुछ वर्षो के दौरान संचालित सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें पहली बार किसी परिवार की सामाजिक पहचान को तरजीह दी गयी है. देश में लंबे अरसे से ऐसी मान्यता रही है कि गरीबी की मार कुछ सामाजिक श्रेणियों को ज्यादा ङोलनी पड़ती है, जिनमें से...

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जनगणना जारी : 4 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख मांगकर करते हैं गुजारा

नयी दिल्ली : 4.08 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख मांगकर अपना घर चला रहे हैं. इस बात का पता चला कि सरकार की ओर से बाज जारी जनगणना रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. देश के सिर्फ 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर देते हैं जबकि वेतनभोगी ग्रामीण परिवारों की संख्या 10 प्रतिशत है. यह बात आज पिछले आठ दशक में पहली बार जारी सामाजिक आर्थिक...

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भारत के गांवों में हर तीसरा परिवार भूमिहीन, आजीविका के लिए मजदूरी पर निर्भर

नयी दिल्ली : सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 में ग्रामीण भारत की विकट तस्वीर दिखती है और रपट से संकेत मिलता है कि गांवों में हर तीसरा परिवार भूमिहीन है और आजीविका के लिए शारीरिक श्रम पर निर्भर है. आज जारी यह रपट पहली डिजिटल जनगणना है. इसके लिए दस्ती इलेक्ट्रानिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया. इसमें कहा गया है 23.52 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में 25 से अधिक उम्र का...

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न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी

श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...

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