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अजयिता ने गांवों को किया रोशन- ।।राजीव रंजन।।

रांचीः आ मतौर पर लोग विपरीत परिस्थितियों में काम करते हैं, तो सिर्फ उन परिस्थितियों को कोस कर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं. उस माहौल या परिस्थिति को बदलने के लिए कुछ नहीं करते. लेकिन कुछ लोग होते हैं, जो मुश्किल हालातों को बदल डालते हैं. ऐसे ही कई लोग जीवन में सफल होते हैं. ऐसे ही लोगों में शामिल हैं अजयिता शाह व उनके सहयोगी डेनियल...

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बेरोजगारी भत्ता ही नहीं रोजगार भी देगी यूपी सरकार

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा सरकार भत्ता ही नहीं बेरोजगारों को रोजगार भी देगी। यूपी के 25 से 40 वर्ष तक के युवाओं को जब तक रोजगार नहीं मिलेगा, भत्ता दिया जाता रहेगा। भत्ते के लिए यदि जरूरी हुआ तो बजट बढ़ा दिया जाएगा पर किसी बेरोजगार को निराश नहीं होने दिया जाएगा। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हमने काफी सोच समझकर घोषणा पत्र तैयार...

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जल विद्युत का तांडव- भरत झुनझुनवाला

केंद्र सरकार समेत सभी पहाड़ी राज्यों की सरकारें देश की सभी नदियों पर जल विद्युत के उत्पादन के लिए बांध बनाने को संकल्पित हैं. इनका मानना है कि इन परियोजनाओं से आर्थिक लाभ ज्यादा है. आर्थिक विकास का दबाव इतना अधिक है कि आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण ही नहीं, कानून को भी ताक पर रख कर परियोजनाएं बनायी जा रही हैं. इसका एक उदाहरण उत्तराखंड में अलकनंदा नदी पर बनायी जा...

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यह नया कितना पुराना- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 14 अगस्त, 2012: देश को नए मंत्री मिल गए हैं। देश की गहरी समस्याओं के जनक रहे पुराने लोग नई पोशाकों में आ खड़े हुए हैं। देखते हैं तो उनके हाथों में तलवारें भी वही बाबाआदम के जमाने की हैं- कागजी! सारे देश में सूखा पड़ा है और अभी अचानक बिजली चले जाने का नया रोग भी गहरा अंधेरा बनाने लगा है। इसे अगर एक प्रतीक से जोड़ कर...

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पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी

हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...

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