इटारसी। सोना उगलने वाले होशंगाबाद जिले की उपजाऊ मिट्टी किसानों की नासमझी और मनमानी की वजह से जहर में तब्दील होती जा रही है। बंपर पैदावार के मामले में पंजाब जैसे कृषि प्रधान प्रदेश को पीछे छोड़ने वाले जिले में कीटनाशक दवाओं के अंधाधुध प्रयोग से मिट्टी में मौजूद आर्गेनिक तत्वों का असंतुलन बढ़ता जा रहा है। इससे जहां पैदावार प्रभावित हो रही है वहीं रासायनिक तत्वों से पैदा अनाज...
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सामाजिक न्याय की बलि- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 9 जून, 2014 : यह एक तथ्य के रूप में ही नहीं दोहराया जा रहा है कि 1984 के बाद 2014 में ही दिल्ली की गद्दी के लिए किसी एक पार्टी को बहुमत मिला है, बल्कि इसके राजनीतिक आयाम भी अलग नहीं हैं। 1984 में हिंदुत्ववाद के उभार की एक चरम स्थिति थी, जब राजीव गांधी को दो तिहाई बहुमत मिला था। वह राजनीतिक हिंदुत्ववाद सिख-विरोधी हमलों की उपज...
More »नये मध्यवर्ग का चरित्र- पवन के वर्मा
भारत का युवा गणतंत्र संकट में है, और भारतीय मध्य-वर्ग इसमें मुखर प्रतिभागी और हाशिये पर खड़ा दर्शक बना हुआ है. इस द्वैध के कई कारण हैं. इतिहास में किसी वर्ग के लिए यह असामान्य नहीं रहा है कि वह अपने अंदर कहीं बड़ी संभावना रखता हो, लेकिन आम तौर पर उससे बेखबर हो तथा उस बड़ी भूमिका को निभाने के लिए उसकी उतनी तैयारी भी न हो. सामाजिक रूपांतरण की...
More »गरीबी और प्रधानमंत्री मोदी- विकास नारायण राय
जनसत्ता 30 मई, 2014 : भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता के बाद मोदी ने संसद के केंद्रीय हाल से संबोधन में अपनी सरकार को गरीबों, युवाओं और स्त्रियों को समर्पित करार दिया। कॉरपोरेट जगत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चहेते ‘चायवाले’ के लिए इस दिखावे को अधिक दिनों तक निभाना टेढ़ी खीर ही होगी। गरीबों को लेकर मोदी का नवउदारवादी ट्रैक रिकार्ड सर्वाधिक संदेहास्पद रहा है।...
More »पीएमओ शक्ति का नया केंद्र- एम के वेणु
अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद से ऐसे लोगों को निराशा हुई है, जो यह उम्मीद कर रहे थे कि मंत्रियों का चयन शासन के उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर किया जाएगा। निश्चित रूप से मंत्रिमंडल में अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, कलराज मिश्र और नितिन गडकरी जैसे लोग भी हैं, जिन्हें केंद्र या राज्य स्तर पर सरकार में शामिल...
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