SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2118

पंचायतों में सुधार का आधार-- गौरव कुमार

गुजरात में स्थानीय निकाय चुनावों में मतदान को अनिवार्य करने संबंधी कानून के बाद अब राजस्थान सरकार ने पंचायत चुनावों के लिए एक नया कदम उठाया है। राजस्थान सरकार ने पिछले दिनों एक अध्यादेश जारी कर पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय कर दी। इसके अनुसार सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए आठवीं पास और अधिसूचित क्षेत्र के उम्मीदवार के लिए पांचवीं पास होना जरूरी...

More »

जहां आदिवासी छात्राएं ही नहीं, वहां बांट दिए मातृ प्रोत्साहन के 3.16 करोड़

दशरथ सिंह परिहार, गुना। आदिवासी छात्राओं को सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए प्रेरित करने पर उनकी माताओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में भी शिक्षा विभाग के घोटालेबाज अफसरों ने 3.16 करोड़ का घपला कर दिया। पूर्व जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी), पांच ब्लॉक स्रोत समन्वयक (बीआरसी) और हेडमास्टरों ने जिले के पांचों ब्लॉक में 150 स्कूलों की दस हजार 500 से अधिक छात्राओं को कागजों में आदिवासी बताकर पैसा...

More »

मिटे इंडिया और भारत का अंतर-- विश्वनाथ सचदेव

किसान नेता शरद जोशी ने ही पहली बार ‘इंडिया' और ‘भारत' का नारा दिया था. यह नारा देकर उन्होंने शहरी भारत व ग्रामीण भारत के अंतर को उजागर किया और इस अंतर को मिटाने की जरूरत को भी रेखांकित किया. सार्वभौम, समाजवादी पंथ-निरपेक्ष जनतांत्रिक गणतंत्र की घोषणा करनेवाले आमुख के बाद हमारे संविधान की शुरुआत जिन शब्दों से होती है, वह है ‘इंडिया जो कि भारत है.' हमारे संविधान निर्माताओं ने...

More »

ग्रामीणों का फरमान : विधवा के हाथ से बना मिड डे मील खाने पर बैन

बरौली : गोपालगंज जिले के बरौली के कल्याणपुर राजकीय मध्य विद्यालय में एक विधवा को रसोइया नियुक्त किये जाने पर गांव के लोग खफा हैं. बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल परिसर में बैठक की, जिसमें विधवा के आचरण पर सवाल उठाते हुए उसके बनाये हुए मिड डे मील बच्चों को खिलाने पर रोक लगा दी गयी. इतना ही नहीं, उसे हटाये जाने तक स्कूल में तालाबंदी कर दी गयी है....

More »

130वें पायदान पर!

भारत में धन तो बहुत बढ़ा है, लेकिन इस देश का नागरिक अपनी स्वतंत्रताओं के मामले में कितना आगे बढ़ा है? छह दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था पौने तीन लाख करोड़ रुपये की थी, जो आज 57 लाख करोड़ रुपये की हो चुकी है.  लेकिन, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होते भारत में क्या उन लोगों की जीवन-स्थितियां भी इसी तेजी से बेहतर हुई हैं, जिनकी आंखों से आंसू...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close