यदि हाल के दिनों में मीडिया में आई खबरों और रिपोर्टों की मानें तो कहा जा सकता है कि न्यायिक सक्रियता अपने चरम पर है। मीडिया में अकसर इस आशय की खबरें छपती हैं कि अदालत ने फलां मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया है या उसे लताड़ लगाई है। कई मामलों में तो अदालत ने विपक्षी दलों से भी ज्यादा सरकार की मुखालफत की है। कभी-कभी ऐसा भी...
More »SEARCH RESULT
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कोढ़ा का हाल: 223 की जगह 25 दवा है उपलब्ध
कोढ़ा:प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोढ़ा में 223 दवाइयों के बदले मात्र 25 दवाई मरीजों के लिए उपलब्ध है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का इलाज किस स्तर का होता होगा. मरीजों को चिकित्सक के द्वारा लिखी जाने वाली अधिकांश दवाएं बाहर से खरीदकर लाना पड़ता है. वैसी स्थिति में गरीब तबके के लोगों का बेहतर इलाज नहीं हो पाता है. यही नहीं...
More »सरकार गर्भपात की सीमा 24 हफ्ते करने को तैयार
मुंबई। भारत सरकार ने गर्भपात कराने की समय सीमा मौजूदा 20 हफ्तों से बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रस्ताव दिया है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) बिल, 2014 के मसौदे को स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर 29 अक्टूबर को पेश किया गया। इस बिल के मसौदे में कहा गया है कि यदि गर्भवती महिला के जीवन को कोई खतरा हो, यदि उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को कोई खतरा हो या...
More »असभ्य समाज का चिह्न है मृत्युदंड- आकार पटेल
आजकल दो अपराधियों की नियति चर्चा में है. एक हैं गुजरात की पूर्व मंत्री मायाबेन कोडनानी, जिन्हें 2002 में राज्य में हुए नरसंहारों में से एक में अपराधी मानते हुए 28 वर्ष की कैद की सजा दी गयी है. उन्हें खराब स्वास्थ्य के आधार पर फिलहाल जमानत मिली हुई है. इस महीने गुजरात सरकार ने कहा है कि वह कोडनानी का पक्ष लेगी और उन्हें जेल भेजने पर आमादा विशेष...
More »गांधी, गांव और इश्तहार- चंदन श्रीवास्तव
बड़ा फर्क है गांधी और आंबेडकर की सोच में बसे गांव के बीच. गांधी के गांव में हिंसा है ही नहीं. गांधी की कल्पना में बसते गांव में भूमिहीन और भूस्वामी बिना झगड़े के रहते हैं. गांधी से किसी ने पूछा- बताइए, गांव के भूमिहीन और भूस्वामियों के बीच कैसे बराबरी स्थापित होगी? उनका जवाब था- भूस्वामी स्वयं ही अपनी भूमि पर दावा छोड़ भूमिहीनों की मदद के लिए आगे...
More »