विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...
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इंटरनेट विस्फोट के लाभ-- बिभाष
हाल ही में एक बड़ी कंपनी द्वारा मोबाइल सेवाएं प्रारंभ करने के बाद मोबाइल सिम हासिल करने के लिए लोगों की भारी भीड़ कंपनी-विशेष के काउंटरों पर जमा हो गयी है. लोग सिम पाने के लिए हर प्रकार का जुगत कर रहे हैं. कारण है बड़े ही सस्ते दर पर मोबाइल सेवाएं, खासकर इंटरनेट देने का प्लान. हालांकि, मुफ्त फोन काॅल दर भी आकर्षण का एक कारण है, लेकिन सस्ता...
More »केजरीवाल सरकार 50 हजार शिक्षकों को देगी 50 करोड़ रुपये के टैबलेट
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली सरकार शिक्षा में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 51 हजार टैब बांटेगी। 50 हजार टैब शिक्षकों और एक हजार टैब प्रधानाचार्यों व अधिकारियों को दिए जाएंगे। इस योजना पर 50 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है। इसे तीन से चार माह में धरातल पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानाचार्यों, स्थायी व अनुबंधित शिक्षकों को मार्च 2017 से पहले टैब उपलब्ध...
More »देश में हर रोज बेरोजगार हो रहे हैं 550 लोग, कृषि क्षेत्र की हालत ज्यादा खराब
नई दिल्ली: देश में रोजगार की संभावनाएं तलाश रही केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बीच एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट बताता है कि देश में हर रोज करीब 550 लोग बेरोजगार हो रहे हैं। अगर यही रफ्तार जारी रही तो साल 2050 तक देश के 70 लाख लोग बेरोजगार हो चुके होंगे। दिल्ली सोसाइटी स्थित एक सिविल सोसाइटी ग्रुप प्रहार (PRAHAR) के एक अध्यियन में...
More »जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह
ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...
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