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प्रधान नहीं जानतीं पंचायतीराज मंत्री कौन!- सुरेश कासलीवाल की रिपोर्ट

अजमेर.जिले की अरांई पंचायत समिति की प्रधान पारसी देवी, जहाजपुर प्रधान सीता देवी गुर्जर व आसींद की प्रधान देबी भील अपने अधिकारों के बारे में तो अनजान हैं ही, उन्हें पंचायतीराज विभाग के मुखिया पंचायतीराज मंत्री का नाम तक मालूम नहीं है? एक को इसके बारे में जानकारी नहीं। दूसरी बोलती है, पूरा नाम पता नहीं पर शायद कोई मालवीय हैं और तीसरी प्रधान ने पंचायतीराज मंत्री का नाम बताया, राजेंद्र सिंह राठौड़ । ...

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भूखे देश से अनाज का निर्यात- देविंदर शर्मा

कोई और देश यहां भूख मिटाने नहीं आयेगा. संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की भूख मिटाना सरकार का दायित्व है. ऐसे में भूखे लोगों की उपेक्षा कर अनाज का निर्यात अपराध ही है. देश में बंपर फसल को देखते हुए अनुमान है कि आगामी एक जून तक गेहूं और धान का भंडार करीब 7.5 करोड़ टन का हो जायेगा. दूसरी ओर देश में 32 करोड़ लोग आज भी...

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मनरेगा 2.0 का शुभारंभ- नए दिशा-निर्देश

देश की सरकार ने मिहिर शाह समिति की सिफारिशों पर आधारित महात्मा गांधी नरेगा(एमजीएनएआरजीईए) से संबंधित नए दिशा-निर्देशों को औपचारिक रुप से लागू कर दिया है। नए दिशा-निर्देशों में संरक्षण-गतिविधियों के अन्तर्गत कई नए कामों को शामिल किया गया है, साथ ही ग्राम-पंचायत और ग्राम-सभा के हाथ मजबूत करने के प्रयास किए गए हैं। बहरहाल, जिन नए कामों को दिशा-निर्देश के अनुरुप शामिल किया गया है उसमें धान के सघनीकरण से जुड़ी गतिविधि (एसआरआई) शामिल नहीं...

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वृद्धावस्था पेंशन के पक्ष में कुछ और तथ्य..

ठीक उसी वक्त जब मीडिया के हमारे मित्रगण कुछ और प्रमाणों की खोज में जुटे थे, आईएलओ(अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन) की एक नई रिपोर्ट में वृद्धावस्था-पेंशन और देश की बेहतरी के बीच विभिन्न तथ्यों के आलोक में संबंध स्थापित किया गया है। आईएलओ की रिपोर्ट “ वर्ल्ड सोशन सिक्यूरिटी रिपोर्ट 2010/11: प्रोवाइडिंग कवरेज इन टाइम्स ऑव क्राइसिस एंड बियान्ड ” में भारत की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का तन्कीदी जायजा लिया गया है। (रिपोर्ट निम्नलिखित लिंक पर...

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गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा

कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...

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