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हमारी संवेदना का अकाल-- योगेन्द्र यादव

अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...

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छत्‍तीसगढ़ में सूखती फसलों को भादो में मिली संजीवनी

रायपुर। भादो मास में हो रही लगातार बारिश से छत्तीसग़ढ़ की खेती-किसानी संभलने लगी है। एक ओर सूखती फसलों के लिए ये बारिश संजीवनी का काम कर रही है, वहीं रबी की फसलों के लिए भी ये जमीन तैयार कर रही है। खेती के जानकारों का कहना है कि लंबी अवधि की फसलों के लिए यह पानी फायदेमंद है। पिछले चार दिनों की बारिश से राज्य के जलाशयों में पानी भर...

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बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज

हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...

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जानिए, 1947 में कितनी थी प्रति व्‍यक्ति आय, आज कितनी है आमदनी

नई दिल्‍ली। देश को आजाद हुए 68 साल पूरे हो गए हैं। इन वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन गई है। तेजी से हुई आर्थिक प्रगति का लोगों की आमदनी पर भी सीधा असर हुआ है। आजादी के समय साल 1947 में जहां प्रति व्‍यक्ति आय केवल 249.6 रुपए सालाना थी। उसमें रिकॉर्ड 200 फीसदी तक की बढ़ोत्‍तरी हुई है। साल 2015 तक यह बढ़कर सालाना...

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जानिए क्‍या होता है जीडीपी, यह दर्शाता है देश की अर्थव्‍यवस्‍था की तस्‍वीर

जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को समझने का सबसे अच्छा तरीका है। जीडीपी का अर्थ होता है सकल घरेलू उत्पाद यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट। जो एक दी हुई अवधि में किसी देश में उत्पादित, आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त अंतिम माल और सेवाओं का बाजार मूल्य है। यह एक आर्थिक संकेतक भी है जो देश के कुल उत्पादन को मापता है। देश के प्रत्येक व्यक्ति और उद्योगों द्वारा किया...

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