अनुज कुमार सिन्हा : एक आदिवासी (सही शब्द जनजातीय) बहुल राज्य रहा है. विश्व अादिवासी दिवस (नौ अगस्त) के माैके पर यह चिंतन का वक्त है कि आदिवासी समाज कहां खड़ा है, देश आैर झारखंड में उनकी वास्तविक स्थिति क्या है. जल, जंगल और जमीन आरंभ से आदिवासी जीवन से जुड़ा रहा है. समय के साथ-साथ बदलाव हुए हैं आैर यह समाज भी बदला है. अंगरेजाें के खिलाफ...
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छत्तीसगढ़ में एक दशक में घट गए सवा फीसदी आदिवासी
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले एक दशक में आदिवासियों की सवा फीसदी आबादी घट गई है। आदिवासी बाहुल राज्य में आदिवासियों की सबसे बड़ी चिंता आबादी के घटने को लेकर है। विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी नेता समाज की आबादी को बढ़ाने के लिए प्लानिंग करेंगे। आदिवासी नेता अरविंद नेताम, माकपा नेता संजय पराते, सोहन पोटाई, श्रवण मरकाम ने विश्व आदिवासी दिवस से पहले इस बात की चिंता जताई कि सरकार और...
More »विस्थापितों के हक पर अफसरशाही की डकैती, न मुआवजा मिला न नौकरी
दामोदर घाटी परियोजना के विस्थापितों को साठ साल बाद भी न उनकी जमीन और घरों का मुआवजा मिल पाया है और न पुनर्वास के नाते नौकरी। पश्चिम बंगाल और झारखंड के चार जिलों के इन विस्थापितों में ज्यादातर आदिवासी हैं। कुल 240 गांवों की 38 हजार एकड़ जमीन और पांच हजार घर केंद्र सरकार की इस बिजली परियोजना ने 1954 में लील लिए थे। पर विस्थापितों को अंतहीन संघर्ष के...
More »जैनरिक दवाओं पर ब्रांड का ठप्पा, मुनाफा मनमाना
ग्वालियर, डॉ.अमरनाथ गोस्वामी। मोटा मुनाफा कमाने के लिए दवा कंपनियों ने बाजार में ब्रांडेड जैनरिक दवाएं उतार दी हैं। ये दवाएं है तो जैनरिक, लेकिन इन्हें एक अलग ब्रांड बनाकर बेचा जा रहा है। ब्रांड का ठप्पा होने के कारण इनके इथिकल या जैनरिक होने की पहचान खत्म हो गई है। इसका खामियाजा आम आदमी को ही भुगतना पड़ रहा है। इन दवाओं की कीमत में औसतन 100 से 150...
More »आदर्श गांव कहने से नाराज हो जाते हैं गांव वाले
टीम नईदुनिया।मध्य प्रदेश में आदर्श ग्राम योजना अपने मकसद में फिलहाल पिछड़ती दिख रही है। कुछ वीआईपी सांसदों के गोद लिए गांवों का हालचाल हमने कल देखा था। आज हम ऐसे कुछ और गांवों का हाल देखेंगे। इनमें से कुछ गांवों के निवासी तो आदर्श ग्राम का तमगा सुनकर अब नाराज भी हो जाते हैं। यहां इक्का-दुक्का काम को छोड़ दें तो हालत जस की तस है। योजना के क्रियान्वयन में...
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