वेदप्रकाश मिश्रा, कांकेर। जिले में कई नक्सल पीड़ित परिवार समस्याओं के बीच किसी तरह जीवनयापन कर रहे हैं। नक्सलियों के खौफ ने उन्हें अपना घर, अपना गांव व अपने लोगों को छोड़ने पर विवश कर दिया। घर से बेघर हुए ये नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों को आज भी अपने घर की याद आती है, लेकिन नक्सलियों का खौफ इस कदर हावी है कि वे अपने गांव जाने से डरते...
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क्लिंटन की गोद ली बच्ची को खाना भी नसीब नहीं
पटना : जब रानी एक साल की थी, तभी उसका भविष्य लिखा जा रहा था. माता-पि ता के साथ आसपास के लोग भी उसके भविष्य को लेकर निशचिंत हो चुके थे. हो भी क्यूं नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने जो रानी को गोद लिया था. उन्होंने कहा था कि इस बच्ची के पढ़ाई-लिखाइ के साथ-साथ सारा खर्च बिल क्लिंटन फाउंडेशन उठायेगा. अब इस बात को चार साल होने...
More »मजदूरों के हौंसले तो जीत गए मगर हार गया आपदा प्रबंधन- दयाशंकर शुक्ल सागर
वे जिन्दगी की जंग जीते तो केवल अपने हौसले से। बिलासपुर की डिप्टी कमिश्नर की ये मेहरबानी ही थी कि उन्होंने अपने संसाधनों से दो दिन के भीतर टनल में फंसे मजदूरों से न केवल राब्ता कायम किया बल्कि उन्हें आठ दिन तक जिंदा रखा। लेकिन जिस जमाने में हम चांद के कई चक्कर लगा चुके हों वहां चट्टान भेद कर केवल 45 मीटर सुराख करने में दस दिन लग जाना...
More »इंजीनियर ने बताया था 30 लाख का खर्च, मजदूरों ने जुगाड़ से सुधार दी मशीन
टी सूर्या राव, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के नंदिनी माइंस में आईबीएम मशीन में खराबी आई तो बाहर से इंजीनियर को बुलाया गया। इंजीनियर ने मशीन सुधारने का खर्च लगभग 30 लाख रुपया बताया लेकिन माइंस के श्रमिकों ने अपनी मेहनत और सूझबूझ का परिचय देते हुए जुगाड़ से मशीन सुधार दी। श्रमिकों ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से ऐसा कमाल किया कि मशीन सुधारने में एक भी रुपए खर्च...
More »टेक्नोलॉजी से सुलझती समस्याएं- प्रीतीश नंदी
आज के तकनीकी विशेषज्ञों की सबसे अच्छी बात यह है कि वे हमारी कुछ सबसे पुरानी समस्याए सुलझा रहे हैं। ऐसी समस्याएं, जो कोई कभी सुलझाना ही नहीं चाहता था, क्योंकि मुनाफा यथास्थिति में ही था, इसलिए कोई नहीं चाहता था कि ये दूर हों। हर कोई इससे पैसे कमा रहा था। फिर तकनीक के विशेषज्ञ आए और उन्होंने सारा खेल बिगाड़ दिया। आइए कुछ उदाहरण देखते हैं : टैक्सी एप...
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