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खेती हुई फायदेमंद, अंधविश्वास से उठा विश्वास तो संवरने लगा पुनगी

रांची जिला के मांडर प्रखंड की कंजिया पंचायत का एक गांव है - पुनगी. यह गांव आदिवासी बहुल है. एक समय था जब इस गांव की जमीनें सूखी और बंजर हुआ करती थीं. ग्रामीणों को किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं थी. ग्रामीण स्वयं को असहाय महसूस करते थे. रोजी रोटी कमाने के लिए ज्यादातर लोग पलायन कर जाते थे. बाहर के राज्यों में ईंट भट्टों, भवन निर्माण या किसी असंगठित क्षेत्र...

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गड़बड़ाया स्कूली बच्चों का गणित

पटना: हमने बच्चों को शिक्षा का अधिकार भले ही दे दिया है, लेकिन उनकी शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं कर पाये हैं. सरकारी स्कूलों के बच्चों में सामान्य गणित की समझ और अक्षर ज्ञान में साल-दर-साल गिरावट आ रही है. यह खुलासा असर की नौवीं वार्षिक रिपोर्ट में हुआ है. इसे नयी दिल्ली में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने बुधवार को इसे जारी किया. घटाव व भाग भी नहीं दे सकते...

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बिहार : इलाज बना धंधा, बीमारी की आड़ में लाखों की कमाई

इलाज अब धंधा बन गया है. और इस धंधे को चलाने का सबसे बेहतर जरिया नर्सिग होम. लिहाजा, धड़ाधड़ खुल रहे नर्सिग होम का मकसद बेहतर मेडिकल सुविधा देना नहीं, बल्कि धन अजिर्त करना रह गया है. पैसा बनाने की भूख ने इस पेशे को विकृति की हद तक पहुंचा दिया है. सांसत में पड़ी मरीज की जान की कीमत ऐसे नर्सिग होम में खूब वसूल की जाती है. बाजार...

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सर्वे : पटना में हर सौ में एक भिखारी ग्रेजुएट

समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित नव जागृति केंद्र के सेवा कुटीर में फिलहाल 19 भीख मांगने वालों को पनाह दी गयी हैं. इनमें से अधिकतर या तो सरकारी व्यवस्था की बेरहमी की मार से बेहाल हैं या हादसों के शिकार. खुशी की बात है कि आखिरकार सरकार ने ही उनकी सुध ली और उन्हें जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने में लगी है. पटना : श्रीकांत मिश्र हाइस्कूल के प्रधानाध्यापक थे. रोज सैकड़ों...

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दीर्घकालीन राजनीति के तकाजे- पवन कुमार गुप्त

जनसत्ता 23 दिसंबर, 2013 : बहुत समय बाद राजनीति शब्द अपने सही अर्थ के नजदीक आया है। बहुत दिनों बाद आम आदमी में राजनीति से एक उम्मीद जगी है। बहुत-से लोग जो निराशहो गए थे, नए ढंग से सोचने लगे हैं। बात शायद 1944 की है। डॉ सुशीला नैयर ने गांधीजी से पूछा था कि आपने ऐसा क्या किया कि हिंदुस्तान की गिरी-पड़ी जनता उठ खड़ी हुई? गांधीजी का जवाब...

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