गृह मंत्रालय के अनुसार, एक हिन्दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्महत्या करने की संभावना डेढ़ गुना ज्यादा है। जबकि देश की विभिन्न जातियों में से आदिवासी और दलित सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने आत्महत्याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग गणना कराई थी। 2014 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्महत्याओं का...
More »SEARCH RESULT
सिमटते सहारे-- रवि राठौर
यों कमजोर और कम संख्या वाले समुदायों की सुविधा-असुविधा का खयाल रखने को समाज अपनी प्राथमिकता नहीं मानता, लेकिन हाशिये पर मौजूद लोग भी इसी समाज और व्यवस्था का हिस्सा होते हैं, जिनकी जरूरतें आधुनिकता की चकाचौंध में कई बार दरकिनार कर दी जाती हैं। मौजूदा दौर को मोबाइल क्रांति का युग माना जा रहा है और यह धारणा आम है कि एक गरीब व्यक्ति भी आज मोबाइल का उपयोग...
More »पर्यावरणीय नैतिकता और यथार्थ-- के. सिद्धार्थ
सभ्यता और सभ्य होने का सिर्फ एक अर्थ है,अपने आसपास के पर्यावरण का आदर और आदरसूचक मूल्य से उसके प्रति सोच। सभ्यताओं का पतन तभी होता है जब आसपास के पर्यावरण के प्रति सम्मान कम हो जाता है, पर्यावरण के प्रति नजरिया व परिप्रेक्ष्य बदल जाता है। सिंधु घाटी, दजला फरात, माया- इन सभी सभ्यताओं का पतन इन्हीं कारणों का प्रतिफल था। आज का आधुनिक और सभ्य समाज पर्यावरण के...
More »पांच ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी भारतीय अर्थव्यवस्था
ओसाका। भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ ही बस में दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर पांच ट्रिलियन यानी 5,000 अरब डॉलर की हो जाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भरोसा जताते हुए कहा कि भारत सरकार आर्थिक रफ्तार को और तेज करने के लिए सुधार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में जुटी है। इन आर्थिक सुधारों से भारत को सबसे तेज रफ्तार बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही इस...
More »प्रधानमंत्री जी, इस गांव के किसान खुद के पैसे से बना रहे हैं सड़क- रोहित कुमार पोरवाल
ये सड़क सरकार ने नहीं बनाई है, न ही किसी एनजीओ ने। करीब आधा किलोमीटर लंबी सड़क रेत-मिट्टी के गारे से बनी भले ही लगे, लेकिन हकीकत में ये सड़क 'अन्नदाता' की खुद की रकम, खून-पसीने और हाड़-तोड़ मेहनत से बनी है। डेढ़ किलोमीटर का काम अब भी बाकी है, इसलिए माटी के लाल जी जान से इस सड़क को पूरा करने में लगे हैं। ये दरअसल, एक सड़क नहीं,...
More »