नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। सरकारी खरीद एजेंसी नैफेड की 'मनमानी' पर अंकुश लगाने के लिए कृषि मंत्रालय ने लगाम कसनी शुरू कर दी है। अब यह सरकार के लिए सिर्फ तिलहन व दलहन की ही खरीद कर सकेगी। इसके इतर उसके अन्य कारोबार करने पर बंदिश लगाने की तैयारी कर ली गई है। कृषि मंत्रालय ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है। इसे जल्दी ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के...
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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »विवाद के बीज- एक विधेयक बहुराष्ट्रीय निगमों के पक्ष में?
सरकार जिस बीज विधेयक को पारित करने के फिराक में है उसके बारे में सबसे मौजूं सवाल यह है कि क्या इससे किसानों की जीविका का कोई हित सध पाएगा या फिर इस विधेयक के पारित होते ही बीजों के बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सरपट दौड़ लगाने का रास्ता खुल जाएगा और किसानों के हितों की अनदेखी होगी। नये बिल की मंशा बीजों के बाजार का नियमन करना...
More »आर-पार से पहले मंझधार- बीटी बैंगन का विवाद
बीटी बैंगन की खेती को जेनेटिक इंजीनियरिंग एडवाइजरी कमिटी की हरी झंडी मिलने के साथ एक बार फिर आनुवांशिक रुप से प्रवर्धित बीजों के इस्तेमाल का सवाल मीडिया की सुर्खियों में है।जेनेटिक इंजीनियरिंग एडवाइजरी कमिटी वन और पर्यावरण मंत्रालय से जुड़ी एक नियामक संस्था है। वैज्ञानिक की टोली वाली इस समिति ने पिछले १४ अक्तूबर को बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती को निरापद करार देते हुए हरी झंडी दे दी थी। बीटी बैंगन की खेती को निरापद करार देने के समिति...
More »भ्रष्टाचार
खास बात • ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स(साल २०14) में भारत १७5 देशों के बीच ८५ वें पादान पर रखा गया था। साल 2010 के इंडेक्स में भारत फिसलकर 87 वें स्थान पर जा पहुंचा था।* • साल २००६-०७ में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों ने ८८३ करोड़ रुपये बुनियादी सेवाओं को हासिल करने के लिए घूस में चुकाये।** • साल २००६-०७ में भारत के सबसे गरीब...
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