देश की जेलों की दयनीय स्थिति, इनमें बंद विचाराधीन कैदी तथा दोषियों की बढ़ती संख्या एक बार फिर न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गयी है। देश की 1387 जेलों में उनकी क्षमता से कहीं अधिक बंदी हैं और इस वजह से इनमें विचाराधीन कैदियों और दोषी कैदियों को काफी हद तक अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ रहा है। एक बार फिर देश की शीर्ष अदालत ने इस ओर ध्यान देते...
More »SEARCH RESULT
देश के कई भागों में अब भी जारी है देवदासी प्रथा
आश्चर्यजनक रूप से देश के कई भागों में प्राचीन देवदासी प्रथा अब भी बदस्तूर जारी है। इस बात का पता चलने पर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने को कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि देवदासी प्रथा का किसी भी रूप में बने रहना पूरी तरह से भारतीय दंड संहिता की धारा 370 व 370-ए का...
More »भोपाल गैस त्रासदी : 7700 करोड़ मुआवजे पर पांच साल में एक भी सुनवाई नहीं
भोपाल (नप्र)। गैस कांड को तीन दशक बीत चुके हैं, लेकिन पीड़ितों को उचित मुआवजा और आरोपियों को सजा का आज भी इंतजार है। 7 हजार 700 करोड़ रुपए के मुआवजे की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पांच साल से लंबित है। गैस कांड की जिम्मेदार कम्पनी यूका के भारतीय अधिकारियों को सजा दिलाने का मामला भी राजधानी के सेशन कोर्ट में पांच साल से चल रहा है। राज्य सरकार ने फास्ट...
More »भोपाल गैस त्रासदी: 31 साल पूरे, इंसाफ का इंतजार अब भी
भोपाल गैस त्रासदी को आज 31 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन इससे प्रभावित हुए भोपाल और उसके आसपास के लोगों और पीड़ितों को अभी भी इंसाफ के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। आज से ठीक 31 बरस पहले 2 और 3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस रिसाव से समूचे शहर में मौत का तांडव मच गया था। उस रात लगभग...
More »कम भयावह हो सकती थी उत्तराखंड की आपदा-- सीएजी की रिपोर्ट
भारी बारिश और बाढ़ की मार झेलते आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में हुई जनहानि की खबरों के बीच सीएजी की एक रिपोर्ट 2013 की प्राकृतिक आपदा के बारे में आयी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तराखंड में विकास-कार्यों में वन और पर्यावरण मंत्रालय, ग्लेशियर केंद्रित विशेषज्ञ समिति सहित कई अन्य एजेंसियों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में निर्माण-कार्यों के दौरान निकले अपशिष्ट के निपटान के बारे में...
More »