जनज्वार, गौमूत्र को कोरोना वायरस का रामबाण इलाज बताया जा रहा है। कई हिंदुत्ववादी संगठनों और बीजेपी के लोगों द्वारा दावा किया जा रहा है कि गौमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। लेकिन ये दावे कितने बेबुनियाद हैं, इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब कोलकाता में गौमूत्र पीने से एक नागरिक स्वयंसेवक बीमार पड़ गया। जिसके बाद गौमूत्र पिलाने वाले बीजेपी कार्यकर्ता को गिरफ्तार...
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जनसत्ता संपादकीय: संकट और बचाव
-जनसत्ता, भारत में कोरोना संक्रमण से दो लोगों की मौत और कुछ नए मरीजों का सामने आना बता रहा है कि बचाव के तमाम उपायों के बावजूद देश में यह महामारी फैल रही है। भले बड़े पैमाने पर संक्रमण के मामले सामने न आए हों, लेकिन रोजाना जिस तरह से नए मरीज सामने आ रहे हैं, वह चिंता का विषय है। ज्यादातर राज्यों में स्कूल-कॉलेज, सिनेमाघर, मॉल आदि बंद कर दिए...
More »आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह
-बीबीसी हिंदी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संपादकीय लेख में कहा है कि भारत उदारवादी लोकतंत्र के वैश्विक उदाहरण से आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है. द हिंदू में प्रकाशित संपादकीय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारी मन से ये बात लिख रहे हैं. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत इस समय सामाजिक द्वेष, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के तिहरे ख़तरे का सामना...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
More »पलायन (माइग्रेशन)
खास बात • किसी प्रांत से उसी प्रांत में और किसी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में पलायन करने वालों की संख्या पिछले एक दशक में ९ करोड़ ८० लाख तक जा पहुंची है। इसमें ६ करोड़ १० लाख लोगों ने ग्रामीण से ग्रामीण इलाकों में और ३ करोड़ ६० लाख लोगों ने गावों से शहरों की ओर पलायन किया। # • पिछले एक दशक को आधार मानकर अगर इस बात की गणना करें कि किसी वासस्थान को छोड़कर कितने लोग दूसरी जगह रहने...
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