भागलपुर/ मुजफ्फरपुर, जाटी। प्रदेश में फिर डेंगू के 42 मरीजों की पहचान की गयी है। स्थिति इस कदर बिगड़ गयी है कि प्रशासन भी कोपभाजन बनने के डर से मरीजों के सही आकड़े को दबाने में जुटा है। जांच के दौरान मुंगेर में सर्वाधिक 38, कटिहार में एक, समस्तीपुर में दो व दरभंगा में एक व्यक्ति में डेंगू के लक्षण पाये गये। जानकारी के मुताबिक मुंगेर में गुरुवार को मिले 38...
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बच्चों की कब्रगाह है मेलघाट-शिरीष खरे
विदर्भ को देश भर में किसानों की आत्महत्या वाले इलाके के रुप में जाना जाता है लेकिन इसी इलाके में सतपुड़ा पर्वत में बसी मेलघाट की पहाड़ियों में छोटे बच्चों की मौत के आंकड़े पहाड़ियों से ऊंचे होते चले जा रहे हैं. साल दर साल कोरकू आदिवासियों के हजारों बच्चे असमय काल के गाल में समाते चले जा रहे हैं. कुपोषण मेलघाट में 1993 को पहली बार कुपोषण से बच्चों के मरने...
More »नि:शुल्क पैथालाजी पर भारी डोयन का दांव
पटना पीएमसीएच में मरीजों को बेहतर जांच सुविधा के लिए पब्लिक-प्राइवेट पाटर्नरशिप के तहत एम्स की दर पर जिस 'डोयन' को जांच का काम सौंपा गया था, उसकी रणनीति ने नि:शुल्क सरकारी पैथालाजी लैब को ठप सा कर दिया है। आलम यह है कि कुछ माह पूर्व तक सांस तक न ले पाने वाले पीएमसीएच के माइक्रोबायोलाजी विभाग की लैब के चिकित्सक व स्टाफ अब आराम से बैठे रहते...
More »सरकारी अस्पतालों को हुआ ‘स्वाइन फ्लू’
लुधियाना. स्वाइन फ्लू ने जता दिया है कि आम मरीज का सरकारी अस्पतालों पर कितना विश्वास है। थोड़ा बहुत खर्च करने की हैसियत रखने वाला पीड़ित भी अस्पताल में दाखिल होने को राजी नहीं। ऐसा डेंगू सीजन में भी हुआ था। तब फ्री इलाज व टेस्ट का ऐलान भी मरीजों को सरकारी अस्पताल तक नहीं खींच पाया था। अब स्वाइन फ्लू फैलने पर सरकार मरीजों को आकर्षित करने के लिए सिविल अस्पताल में संदिग्ध मरीजों के...
More »शिक्षा
खास बात • साल १९९३-९४ में ग्रामीण इलाकों में पुरुष साक्षरता की दर(राष्ट्रीय स्तर) ६३ फीसदी थी जो साल १९९९-२००० में बढ़कर ६८ फीसदी हो गई।* • साल १९९३-९४ में ग्रामीण इलाकों में महिला साक्षरता की दर(राष्ट्रीय स्तर) ३६ फीसदी थी जो साल १९९९-२००० में बढ़कर ४३ फीसदी हो गई।* • भारत के ग्रामीण अंचल में अनुसूचित जनजाति के तबके के लोगों में साक्षरता दर सबसे कम(४२ फीसदी) पायी गई है। इसके तुरंत बाद अनुसूचित...
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