आज जब हम स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि एक लोकतांत्रिक देश के सजग नागरिक होने के नाते हम यह पड़ताल करें कि देश की आजादी के महानायकों ने हमारे लिए जो स्वप्न देखे थे, वे कितने पूरे हुए। और यदि पूरे नहीं हुए हैं, तो आखिर हमसे गलतियां कहां हुई हैं? ऐसे में हमें सहज ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ध्यान आता है, जिन्होंने आजादी...
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विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन
देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...
More »शहर हो या गांव, हर घर में हो शौचालय : नीतीश
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शहर हो या फिर गांव, हर घर में शौचालय बनना चाहिए. इसके लिए राज्य सरकार ने राशि भी बढ़ा दी है. राज्य मद से पहले जो 1,333 रुपये दिये जाते थे, अब 8000 रुपये दिये जायेंगे और केंद्र सरकार के 4000 रुपये मिला कर एक शौचालय लगाने के लिए 12000 रुपये हो जायेंगे. इसमें शहर में भी शौचालय बन सकेगा. वह शुक्रवार को संवाद...
More »मजदूर महिला ने आगे आकर संभाला स्कूल की सफाई का जिम्मा
पन्ना(मध्यप्रदेश)। आज के समय में हर तरह स्कूल की सफाई बच्चों पर निर्भर है। प्राथमिक एवं मिडिल में कोई सफाईकर्मी नही है। यह कार्य गलत है या सही इस पर चर्चा की जाती है, लेकिन समाज से या स्थानीय स्तर से किसी प्रकार हल नही निकाला जाता है। ग्रामीण और सरकार के लोग बहस में फंसकर रह जाते है। पन्ना से लगभग 25 किमी दूर पार्क से लगा कोटा गुंजापुर जहां...
More »'सबके लिए घर' के मायने - सुषमा रामचंद्रन
वर्ष 2022 तक प्रत्येक देशवासी को अपना एक घर मुहैया कराने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना यूं तो सराहनीय है, लेकिन इसके समक्ष कई अहम सवाल भी मुंह बाए खड़े हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि अगर घर बना भी दिए गए, तो उनकी गुणवत्ता कैसी होगी? उन तक बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सफाई आदि की पहुंच कैसे होगी? उनके इर्दगिर्द जरूरी बुनियादी ढांचा जैसे स्कूल,...
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