भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
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राशन पर सरकारी डाका -- प्रशांत कुमार दुबे
सरकार अब राशन में खाद्यान्न की जगह नकद भुगतान करने जा रही है. इसका पायलट फेज दिल्ली की दो बस्तियों में प्रारंभ भी कर दिया गया है. सरकार के इस कदम के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर करने की साजिश तो वर्ष 1991 के बाद से ही शुरु हो...
More »एडीबी से मध्यप्रदेश को मिलेगा 13.50 अरब रुपए का ऋण
नई दिल्ली. भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने मिलकर मध्यप्रदेश को लगभग 13.50 अरब रुपए (300 मिलियन डॉलर) देने के लिए ऋण मसौदे पर हस्ताक्षर किए। एडीबी की ओर से प्रदेश को यह सहायता तीसरी बार दी जा रही है। जिससे परिवहन के क्षेत्र में राज्य के पश्चिम से पूर्व तक १क्क्क् किलोमीटर के केंद्रीय राजमार्ग को सुधारने में सहयोग मिलेगा। परियोजना समझौते पर एडीबी के भारत आवास मिशन के...
More »राजस्थान: दुकानों तक राशन पहुंचने की सूचना एसएमएस से
जयपुर. खाद्य विभाग प्रदेशभर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए राशन का सामान उचित मूल्य दुकानों तक पहुंचने की सूचना एसएमएस के जरिए देने की योजना तैयार कर रहा है। यह योजना पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी। खाद्यान्न के उठाव और पहुंच की सूचना एसएमएस के जरिए खाद्य विभाग के अधिकारियों और सतर्कता समिति के सदस्यों को दिए जाने की योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उदयपुर में शुरू...
More »आंकड़ों की खेती से नहीं निकलेंगे परिणाम
रांची : यह आयोजन समेकित व समावेशी विकास के लिए है. विकास कार्यक्रम बनें व इनमें इनपुट ही सही न हो, तो काम ठीक नहीं हो सकता. दूसरी बात कि आंकड़ों की खेती से परिणाम नहीं निकलेंगे. कृषि क्षेत्र पर सबने चिंता जाहिर की है. राज्य के अधिकतर लोगों के जीवनयापन से जुड़ा यह क्षेत्र है, लेकिन यहां पलायन व अन्य समस्याएं हैं. अब लोगों के सुझाव से वास्तविकता के साथ...
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