बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में भारत पर राज कर रही औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले यह स्वीकारा था कि अनाथ और निराश्रित बच्चों व किशोरों की देखभाल करना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। लेकिन भारत को लोकतांत्रिक स्वाधीनता मिलने के छह दशक बीतने के बावजूद इस तरह के बच्चों और किशोरों के हित में अधिक से अधिक यही किया जा सका है कि उन्हें कारागृह जैसी राज्यशासी संस्थाओं में भेज...
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योजना आयोग के गरीब- तवलीन सिंह
जब भी दिल्ली के सरकारी भवनों में आला अधिकारी बैठकर भारत के गरीबों का हिसाब लगाने बैठते हैं, तो मुझे सख्त तकलीफ होती है। इसलिए कि ये लोग ऐसा करते हैं, सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए। अगर आंकड़ों से साबित कर सकते हैं योजना भवन के अधिकारी कि राजनेताओं की समझदारी, उनकी आर्थिक नीतियों से देश में गरीबी हट रही है देश में, तो राजनेता दोबारा...
More »सबसिडी घटाने की फितरत- सी पी चंद्रशेखर
अपने बजट भाषण के जरिये, जो बोर होने की सीमा तक उबाऊ था और जिसमें जताने से ज्यादा छिपाने की कला थी, वित्त मंत्री ने मुद्रास्फीति के और ऊपर जाने का रास्ता खोल दिया है। अप्रत्यक्ष कर बढ़ाकर, जिसका बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ना है, और सबसिडी को कम कर, जिससे पेट्रो उत्पाद व उर्वरक महंगे होंगे, उन्होंने मूल्यवृद्धि का बोझ सह रहे इस देश को महंगाई की एक और किस्त...
More »12 प्रतिशत घटी मध्य प्रदेश में गरीबी
मध्य प्रदेश में गत पांच वर्षों के दौरान गरीबी दर में 12 प्रतिशत की अभूतपूर्व कमी आई है, जबकि इस दौरान गरीबी कम होने का राष्ट्रीय प्रतिशत 7.3 रहा। इससे पहले वर्ष 1999-2000 से वर्ष 2004-05 की अवधि के दौरान मध्य प्रदेश देश का एकमात्र राज्य था, जहां गरीबी चार प्रतिशत बढ़ी थी। 2004-2009 तक गरीबी में वार्षिक 1.5% कमी योजना आयोग द्वारा जारी आंकड़ों में एक उल्लेखनीय तथ्य यह भी उभरकर...
More »आशा कार्यकर्ताओं को तीन हजार रूपये मानदेय देने की लोस में उठी मांग
नयी दिल्ली, 15 मार्च (एजेंसी) लोकसभा में आशा कार्यकर्ताओं की आर्थिक बदहाली का मामला उठा और सरकार से उन्हें प्रतिमाह कम से कम तीन हजार रूपये मानदेय दिये जाने की मांग की गई। जनता दल यूनाइटेड के जगदीश शर्मा ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए कहा कि देश में लाखों आशा कार्यकर्ता बहाल हैं जो केन््रद सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में योगदान देती हैं। इनमें ज्यादातर...
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