देश में बिना मान्यता वाले 21,351 स्कूलों पर बंदी की तलवार लटक रही है। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के तहत न्यूनतम मानक पूरे नहीं करने के कारण ये स्कूल मान्यता हासिल करने में विफल रहे हैं। आरटीई कानून के तहत सरकार से मान्यता के बिना स्कूलों का संचालन नहीं हो सकता। इन स्कूलों में करीब 26 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। इस बारे में केंद्र ने राज्यों को भेजे रिमांइडर...
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नगदी हस्तांतरण और बचत का गणित-- धर्मेंन्द्रपाल सिंह
घरेलू गैस पर मिलने वाली सब्सिडी का पैसा उपभोक्ता के खाते में सीधा हस्तांतरित (डीबीटी) करने संबंधी योजना की सफलता से उत्साहित सरकार ने अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी इसकी जद में लाने का मन बना लिया है। केंद्र ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि इस साल के अंत तक यह काम शुरू हो जाना चाहिए। रसोई गैस पर डीबीटी नवंबर 2014 से ही लागू है। सरकार 14.19...
More »छत्तीसगढ़ में शिक्षामंत्री के गृह जिले में गुणवत्ता की कसौटी पर फेल 1 तिहाई स्कूल
जगदलपुर। शिक्षामंत्री के गृह जिले बस्तर में गुणवत्ता की कसौटी पर एक तिहाई सरकारी स्कूल फेल हो गए हैं। ग्राम सभाओं ने बस्तर जिले के 753 स्कूलों को गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं पाया है। इनमें से 712 स्कूलों को सी व 41 डी ग्रेड दिया गया है। राजीव गांधी शिक्षा मिशन की रिपोर्ट के अनुसार डी श्रेणी पाने वाले सबसे अधिक ग्यारह स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के गृह...
More »भारत की कहानी में बिहार कहां है?-- शंकर अय्यर
आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...
More »अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण
बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...
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