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नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य

-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...

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ज़ोमैटो, स्विगी के डिलीवरी वर्कर्स- "हमें कंपनी ने गुलाम बना रखा है"

-न्यूजलॉन्ड्री,  ज़ोमैटो के डिलीवरी वर्कर्स के लिए अपनी वेबसाइट के विरोधाभासों को नजरअंदाज़ कर पाना कठिन है. 'राइड विथ प्राइड' के आश्वासन के साथ उनकी वेबसाइट 'एक लाख से अधिक हैप्पी पार्टनर्स' होने और '10 करोड़ से अधिक हैप्पी डिलीवरी' करने का दावा करती है. वह भी ऐसे समय में जब देश भर में 'डिलीवरी पार्टनर्स' खुश नहीं हैं. पिछले दो हफ्तों से ज़ोमैटो और स्विगी के डिलीवरी कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर...

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विमर्श : इतिहास पर छापा

-आउटलुक, “हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं” पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षों से ही हिंदू सांप्रदायिक शक्तियां भारत के अतीत को अपने चश्मे से देखकर इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार बदलने की कोशिश करती रही हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक इस अभियान का नेतृत्व किया और कई पुस्तकें लिखीं। 1964 में ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन संस्थान’...

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लोकल को वोकल बनाने के लिए पंचायत राज व्यवस्था भागीदारियों की स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग जरूरी

-रूरल वॉइस, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव  तहत हाल ही में  ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के पदाधिकारिों के चुनाव संपन्न हुए हैं। इन पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की कुल संख्या 826458 है। जिसमें 75 जिला पंचायत 822 क्षेत्र पंचायत  और 58791 ग्राम पंचायत के  निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य  है। इन चुने हुए प्रतिनिधियों में  अधिकतर सदस्य को इन स्थानीय  संस्थानों के कामकाज में उनकी अपने अधिकार, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों...

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जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन संबंधी जानकारी देने से मना करने पर सीआईसी की फटकार

-द वायर, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने 2018 में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 को लेकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल पर जवाब देने से छूट का दावा किया है. सीआईसी का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने बिना उचित कारण और औचित्य बताए गोपनीयता का हवाला देकर जवाब देने से इनकार किया है. सीआईसी ने हालांकि, केंद्रीय जन...

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