जगदलपुर (ब्यूरो)। नक्सल दहशत के चलते अपना घरबार छोड़कर पड़ोसी प्रदेशों में कई वर्षों से निर्वासित जीवन गुजार रहे दक्षिण बस्तर के आदिवासियों को सुरक्षित उनके गांव लाकर फिर से बसाने की कवायद की जा रही है। गांव छोड़कर गए ज्यादातर ग्रामीण सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के हैं। लगभग 25 हजार आदिवासी कोंटा से सटे तेलंगाना के खम्मम व वारंगल जिले के ग्रामीण इलाकों में रह रहे हैं। आडिशा के...
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बजर पड़े तो बजरा बोएं, आधुनिक तरीके से करें बाजरे की खेती- डा. प्रवीण कुमार द्विवेदी
बाजरा अथवा पर्लमीलेट (पेनीसेटम टाईफ्वायडस एल) एक महत्वपूर्ण मोटे अनाज वाली फसल है. इसकी खेती प्रागैतिहासिक काल से अफ्रीका एवं एशिया प्रायद्विप में होती रही है. तमाम मौसम संबंधित कठोर चुनौतियों का सामना खासकर सूखा को आसानी से सहने के कारण राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्रा, ओडीसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं अन्य सुखा ग्रस्त क्षेत्रों की यह महत्वपूर्ण फसल है. समस्त अनाजवाली फसलों में सूखा के प्रति सर्वाधिक प्रतिरोधक...
More »वंचित तबके के हक पर डाका डालने वाले- सुभाष गताडे
अनुसूचित तबकों के छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति जारी करने में विलंब के चलते लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। पिछले दिनों राज्यसभा में शून्यकाल में इसी मसले को बसपा के एक सांसद ने उठाकर सदन का ध्यान खींचने की कोशिश की थी। संविधान के अंतर्गत अनुसूचित तबकों को दिए गए आरक्षण के बावजूद समय पर छात्रवृत्ति न मिलने से इन तबकों के छात्रों की पढ़ाई...
More »नाव से 6 किमी लंबा बांध पार कर स्कूल जाता है भक्त प्रहलाद - रामाधार यादव
रामाधार यादव, धमतरी। एक ओर जहां अथाह पानी से लबालब गंगरेल बांध को नाव से पार करने की हिम्मत साहसी लोग भी नहीं कर पाते वहीं डूबान क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सिर्फ दो परिवारों वाले ग्राम मोंगरी के 10 वर्षीय भक्त प्रहलाद को पढ़ने का ऐसा जुनून है कि वह रोजाना 6 किलोमीटर बांध को पार कर स्कूल आता-जाता है। पांच साल की उम्र में स्कूल जाने के लिए...
More »न्यायिक स्वतंत्रता को खतरा- एम के वेणु
राज्य के नीति-निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 50 में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि उसकी स्वतंत्रता बनी रहे, जो संविधान के रखवाले की उसकी भूमिका के लिए आवश्यक है। अलबत्ता राज्य के हर अंग और लोकतंत्र के प्रत्येक सार्वजनिक पदाधिकारी की तरह न्यायपालिका भी एक संस्थान है और हर न्यायाधीश सार्वजनिक पदाधिकारी, जो राजनीतिक संप्रभुता-यानी जनता के प्रति जवाबदेह होता है। फर्क सिर्फ जवाबदेही...
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