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बजट: खेती में तकनीक से तरक्की की राह, किसान ड्रोन को मिलेगा बढ़ावा, इन कामों में हो सकेगा इस्तेमाल

-गांव कनेक्शन, आम बजट की खूबियां गिनाते हुए वित्त मंत्री ने खेती में तकनीकी के इस्तेमाल पर जोर दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। जिससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख, कीटनाशकों का छिड़काव में मदद मिलेगी। फसल में कहां रोग लगा है, कहां कीट लगे हैं। फसल में किस पोषक तत्व की कमी है। ऐसे कई खेती के कामों को ड्रोन के जरिए आसानी से हो...

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39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं

-रूरल वॉइस, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं, इंडस्ट्री के लिए भी प्रावधान थोड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में इनकम टैक्स दर या स्लैब से संबंधित प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है। महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये से...

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केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

-न्यूजक्लिक, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 31 जनवरी को देश भर में किसानों ने "विश्वासघात दिवस" मनाया और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठनों ने इसमें भागीदारी की है। किसान संगठनों ने दावा किया कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया गया है। जिसमें बड़ी सभाएं और जुलूस शामिल थे, जहां प्रदर्शनकारियों ने जिला...

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​आर्सेनिक डॉक्यूमेंट्री: बंगाल के विधवा गांव और मानवाधिकार का सवाल

-न्यूजलॉन्ड्री, कोलकाता से कोई 70 किलोमीटर दूर बशीरहाट ब्लॉक के पश्चिम पाड़ा गांव में 65 साल की सोइबा बाला बार-बार आर्सेनिक पर अपनी व्यथा बयां कर थक चुकी हैं. करीब 15 साल पहले उनके पति निरंजन बाला की मौत आर्सेनिकोसिस से हो गई. वह बांग्ला में अपने परिवार की आपबीती हमें सुनाती हैं. हताशा और बेबसी से कहती हैं कि 15 सालों में आर्सेनिक समस्या पर बात करने के लिए डॉक्टरों,...

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पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख

-जनपथ, प्रस्‍तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्‍शन सेंटर (पीस), दिल्‍ली द्वारा बीते वर्ष अक्‍टूबर में संवैधानिक मूल्‍यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्‍याख्‍यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्‍य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्‍याय, पत्रकारिता और कला व संस्‍कृति के फैलोज़ को इस व्‍याख्‍यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...

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