बिहार में खरीफ की खेती अब भी वर्षा पर निर्भर है. सरकार हर साल कई करोड़ रुपये जल संसाधन पर खर्च करती है, लेकिन अब भी 93.6 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर जमीन में ही शुद्ध रूप से खेती होती है और केवल 33.57 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि ही सिंचित है. मॉनसून अगर साथ दे, तो किसानों का सौभाग्य और अगर वह दगा दे, तो...
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खुद की ट्राइसिकिल पर दौड़ेगा शनिचरवा
अक्सर लोग किसी काम के न हो पाने के लिए संसाधनों का रोना रोते रहते हैं. लेकिन कुछ ऐसे सिरफिरे होते हैं जो जिस काम के पीछे जुट जाते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं. चाहे संसाधन उपलब्ध हो या न हो. ऐसी ही एक मिसाल शनिचरवा उरांव की है. सड़क हादसे में पांव गंवाने वाले शनिचरवा से जब घर और समाज के लोगों ने मुंह...
More »अब वार्ड सदस्य को भी चाहिए योजनाओं के कमीशन में हिस्सा : दयामनी
हमारे गांवों का कितना विकास हुआ है. क्या चुनौतियां हैं. विकास के मौजूदा मॉडल से आप कितनी सहमत हैं? मौजूदा विकास को दो-तीन तरह से देखना होगा. पहले समझना होगा कि विकास का मतलब क्या है. किस तरह का विकास होना है और किसका विकास होना है. आज सरकार की नजर में विकास का जो पैमाना है, जिसे मेनस्ट्रीम सोसाइटी विकास मानती है, और जो विकास हो रहा है क्या कल...
More »पुल तले पाठशाला- विकास कुमार
दिल्ली में मेट्रो ब्रिज तले चल रहा एक अनोखा स्कूल गरीब परिवारों के कई बच्चों की उम्मीदों को पंख दे रहा है. विकास कुमार की रिपोर्ट. मेट्रो के पुल के नीचे दुकानें सजना तो दिल्ली में आम है, लेकिन उसके तले कोई स्कूल चलता दिखे तो बात खास हो जाती है. दिल्ली मेट्रो के यमुना बैंक स्टेशन के पास ऐसी ही एक अनूठी और प्रेरणादायी पाठशाला है. मेट्रो ब्रिज इसे धूप और...
More »ये तो अधर्म की मूर्तियां हैं!- डा भरत झुनझुनवाला
उत्तराखंड में आयी विभीषिका में विद्युत परियोजनाओं की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. केदारनाथ में मंदाकिनी नदी बहती है. फाटा व्यूंग और सिंगोली भटवाड़ी नाम से केदारनाथ के नीचे इस नदी पर दो विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं. प्रत्येक में 15-20 किमी की सुरंगें पहाड़ में खोदी जा रही हैं. इन सुरंगों को बनाने में भारी मात्र में डायनामाइट का प्रयोग किया गया है. इनके धमाकों से पहाड़ दरक...
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