खंडवा। भीषण जलसंकट से जूझ रहे लोगों को अपने हिस्से का पानी सहेजने की प्रेरणा नईदुनिया अभियान से मिल रही है। इसी कड़ी में खालवा क्षेत्र के दूरस्थ ग्राम बूटी में आदिवासी तालाब गहरीकरण के लिए श्रमदान में जुटे हैं। स्पंदन समाजसेवा समिति के सीमा प्रकाश ने बताया कि ग्राम बूटी पंचायत धामा का दूरस्थ ग्राम है। यहां 162 घर हैं। आबादी 553 है। इसमें 113 घर कोरकू जनजाति के...
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सबलीकरण के सामने-- नीलम कुमारी
धर्म और आस्था प्रधान देश भारत में स्त्री के व्यक्तित्व की परिभाषा आज भी सटीक नहीं बताई जाती। धर्म में देवीस्वरूपा है वह। आस्था है कि वह शक्ति का अक्षय स्रोत है। पुरुष प्रधान समाज ने ही यह संज्ञा दी है। लेकिन मनुष्य रूप में वह क्या है- इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं। हर उत्तर किसी जालीनुमा कवच की तरह लगता है, जिसकी फांकों से पुरुषवादी षड्यंत्र की झलक गाहे-बगाहे...
More »11 बीघा से नहीं मिला दाना, किसान ने लगा ली फांसी
सूखे में फसल की बर्बादी और कर्ज की चिंता में एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी। वह अंत्योदय कार्डधारक भी था। उसकी 11 बीघा जमीन में अनाज का एक दाना भी नहीं हुआ था। नरैनी तहसील क्षेत्र के महुई गांव के मजरा धोबिन पुरवा, फतेहगंज निवासी मोहन (35) पुत्र महिपाल ने मंगलवार रात घर के खपरैल में रस्सी बांधकर फांसी लगा ली। घटना के समय घर के सभी लोग...
More »भाकपा माओवादी से नाता तोड़ जनकल्याण में जुटा है चिलगू
अपने देश में रत्नाकर और अंगुलीमाल डाकू के बारे में कौन नहीं जानता. इनका हृदय परिवर्तन हुआ, तो साधु बन गये. चंद्रशेखर उरांव उर्फ चिलगू का भी हृदय परिवर्तन हुआ. वह खूंखार उग्रवादी से समाजसेवी बन गया. आज गुमला के भरनो प्रखंड का जिला परिषद सदस्य है. सात साल तक आतंक का पर्याय रहे इस शख्स ने युवाओं को मुख्यधारा से न भटकने देने का संकल्प लिया है. अंकित/सुनील भरनो...
More »आत्महत्या करनेवालों में किशोर और युवा सबसे आगे
टूट रही नयी पीढ़ी को सहारा देनेवाली डोर देश की नयी पीढ़ी में तनाव और अवसाद किस कदर बढ़ रहा है, इसका स्पष्ट संकेत लंदन की प्रतिष्ठित पत्रिका लांसेट में छपी ताजा रिपोर्ट से मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में किशोरों और युवाओं की मौत का अब सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. हालांकि राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पहले ही बता चुके हैं कि भारत में आत्महत्या करनेवालों...
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