जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...
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सिमट सिमट जल भरहिं तलाबा- अनुपम मिश्र
आज हर बात की तरह पानी का राजनीति भी चल निकली है। पानी तरल है, इसलिए उसकी राजनीति भी जरूरत से ज्यादा बहने लगी है। देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसे प्रकृति उसके लायक पानी न देती हो, लेकिन आज दो घरों, दो गांवों, दो शहरों, दो राज्यों और दो देशों के बीच भी पानी को लेकर एक न एक लड़ाई हर जगह मिलेगी। मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि...
More »बिनायक नक्सली गतिविधियों में लिप्त , नहीं होगी जमानत : हाईकोर्ट
बिलासपुर.हाईकोर्ट ने डॉ. बिनायक सेन और पीजूष गुहा की जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस टीपी शर्मा और आरएल झंवर की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को दिए अपने 20 पन्नों के फैसले में दोनों को नक्सली गतिविधियों में संलिप्त मानते हुए जमानत देना से मना कर दिया। याचिकाकर्ता डॉ. सेन और पीजूष की ओर से 24 और 25 जनवरी को बहस पूरी होने के बाद बुधवार को शासन की ओर से तर्क...
More »आदिवासियों की जमीन पर कब्जा
भोपाल. कानूनन आदिवासियों की भूमि खरीदी बेची नहीं जा सकती। इसके बावजूद प्रदेश में आदिवासियों की जमीन खरीदने और कब्जे करने के मामले सामने आ रहे हैं। मप्र राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में दो साल में ऐसी 50 शिकायतें दर्ज हुई हैं। आयोग ऐसे मामले राजस्व विभाग को भेजने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं कर पाता। आदिवासियों की जमीन उद्योग को: बीते माह पन्ना जिले के गांव बीजाखेड़ा में 50 आदिवासियों...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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