साल 1990 की बात है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के प्रमुख सचिव रहे बीजी देशमुख ने प्रधानमंत्री से पूछा था कि क्या वह सेवानिवृत्ति के बाद एक बड़ी निजी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं- उन्होंने दशकों सरकारी नौकरी की थी और चाहते थे कि इजाजत मिल जाये, तो अब बाहर निकलकर कॉरपोरेट भूमिका निभाएं. दरअसल, हितों के टकराव के मुद्दे को स्वाभाविक रूप से भ्रष्टाचार से जोड़कर देखा जाना चाहिए....
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हवा में खड़े होते महल-- अरविन्द कुमार सेन
आज से तकरीबन दो दशक पहले की बात होगी। पूरी दुनिया में इंटरनेट और इस पर आधारित सेवाएं रफ्ता-रफ्ता पैर फैला रहीं थी। डोमेन नाम वाली वेबसाइट (संक्षेप में डॉटकॉम) खड़ी करने का एक अभियान पूरी दुनिया में चल पड़ा था। रातों-रात नए-नए आंतरप्रेन्योर यानी नवउद्यमी पैदा हो गए थे, जिनकी एकमात्र उपलब्धि डॉटकॉम वाली वेबसाइट का मालिकाना हक था। जड़विहीन समृद्धि पैदा करने के इस अभियान को मीडिया ने...
More »गरीबी नहीं गैरबराबरी है चुनौती-- मृणाल पांडे
एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...
More »नोटबंदी के तुरंत बाद दिहाड़ी मजदूरों ने सबसे ज्यादा गंवाये रोजगार के अवसर-- नई रिपोर्ट
नोटबंदी के तुरंत बाद के तीन महीनों में दिहाड़ी मजदूरों के रोजगार के अवसरों में सबसे ज्यादा कमी आई. इस तथ्य का खुलासा लेबर ब्यूरो की हाल की तिमाही रिपोर्ट से होता है. रिपोर्ट में चुनिन्दा क्षेत्रों में रोजगार के हालात का आकलन है. हालांकि अर्थव्यवस्था के आठ मुख्य क्षेत्रों में 1 जनवरी 2017 से 1 अप्रैल के बीच रोजगार के अवसरों में 1.85 लाख का इजाफा हुआ. रिपोर्ट के...
More »ईमानदार हो पुलिस-प्रशासन-- जगमती सांगवान
देश में आये दिन जघन्य आपराधिक घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. हरियाणा में घटी हालिया तीन घटनाएं इसकी सबूत हैं. हरियाणा के जींद में एक दलित लड़की की रेप के बाद बुरी तरह से हत्या कर दी गयी. एक दूसरी खबर है कि पानीपत में हत्या के बाद दलित लड़की की लाश के साथ रेप हुआ. वहीं फरीदाबाद में एक लड़की का पहले अपहरण किया गया, फिर चलती...
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