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मुर्दो के बीच जिंदों का आशियाना

मुजफ्फरपुर [मो. शमशाद]। यह मुर्दो का घर है। दुनिया इसे कब्रिस्तान के नाम से जानती है। हयात पूरी होने के बाद अपनों के कंधों पर लोग जनाजे की शक्ल में आकर यहां दफन हो जाते हैं। मगर, कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं, जो हैं तो जिंदा मगर इनका आशियाना इन्हीं मुर्दो के बीच है। जी हां, यह उनकी मजबूरी है। कहीं आसरा नहीं मिला तो कब्रिस्तान को ही बना डाला घर। इस सच्चाई को...

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पांच अनाथ बच्चों की कब बदलेगी किस्मत?

इंद्री, संवाद सहयोगी : पहले मां फिर पिता का साया उनके सिर से उठ गया। उम्र इतनी नहीं है कि वे अपने पैर पर खड़ा हो जाएं। इस दयनीय हालात में सरकारी अमले की कार्रवाई भी उन्हें राहत देने के बदले नुकसान पहुंचा रहा है। यह कहानी है गाव खेड़ा में रहने वाले पाच बच्चों की। वे तीनों अनाथ हैं। जिस बीपीएल कार्ड के कारण इस परिवार का पक्का मकान बना था, अब...

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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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बीपीएल घरों में नहीं हो सका उजाला

बरवाला. प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों के लिए निशुल्क बिजली कनेक्शन देने की योजना शुरू की मगर योजना का लाभ असली लोगों को नहीं मिल पाया। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण नामक इस योजना को शुरू हुए करीब दो साल हो चुके हैं मगर बरवाला के ग्रामीण क्षेत्र में एक भी बीपीएल परिवार को कनेक्शन नहीं मिला। इसके विपरीत बरवाला शहर में लगभग एक दर्जन बिजली कनेक्शन लगा दिए...

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ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा

यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें...

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