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सेहत की कीमत पर विकते खाद्य-- निरंकार सिंह

पिछले दिनों मैगी विवाद ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट के मामले को चर्चा का विषय बना दिया था। ताजा मामला डबल रोटी में खतरनाक रसायनों के मिलाने का है। बहुत सारे घरों में सुबह नाश्ते के समय खाई जाने वाली बे्रड और बेकरी के उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है। सेंटर फार साइंस एंड इनवार्नमेंट (सीएसई) ने बे्रड, पाव, बन, बर्गर बे्रड और...

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सुलगता सवाल : क्या मॉनसून की बारिश सूखे की भरपायी कर पायेगी ? सूखते जलागार, घटता जलस्तर, पेयजल और सिंचाई के संकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ, नये शोध और आधिकारिक दस्तावेज...जानने के लिए यहां क्लिक करें.

लगातार दो सालों (2014-15 और 2015-16) में सामान्य से क्रमशः 12 और 14 फीसदी कम बारिश के कारण सूखे की मार झेल चुका देश इस साल मानसून से पहले भयावह गर्मी की चपेट में है. चैत के दिन जेठ के दुपहरिया की तरह तपे और देश के कई इलाकों में अप्रैल महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा जो कि सामान्य से...

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रघुराम राजन के मौद्रिक नीति की निर्मला सीतारमन ने की आलोचना

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की मौद्रिक नीतियों की एक तरह से आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि उंची ब्याज दरें उद्योग जगत विशेष छोटे व मझौले उद्यमों की लागत प्रतियोगितात्मकता को प्रभावित कर रही हैं. मंत्री ने कहा कि वे इस मुद्दे को पहले ही वित्त मंत्री के समक्ष उठा चुकी हैं और उन्होंने इस बारे में केंद्रीय बैंक को...

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एक टन प्याज बेचकर किसान ने कमाया एक रुपया

पुणे : प्याज की गिरती कीमतों से परेशान एक किसान ने यहां अपनी व्यथा सुनाते हुये कहा है कि जिला कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में लगभग एक टन प्याज बेचकर वह केवल एक रुपया ही कमा सका है. देवीदास परभाने (48) नाम के इस किसान का कहना है कि प्याज की कीमतों में गिरावट का असर उस जैसे कई किसानों पर पहले ही दिख रहा है. अन्य किसानों ने...

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न्यायपालिका को तो बख्श दें: एन के सिंह

फ्रांस के समाजशास्त्री अलेक्सी डे टॉक्विले और ब्रिटेन के राजनीतिक दार्शनिक जॉन स्टुअर्ट मिल, दोनों ने 25 साल के अंतराल में लोकतंत्र के दो नए खतरों के प्रति आगाह किया था। पहले का मानना था कि इसमें बहुमत के आतंक के शिकार व्यक्ति के पास बचने का कोई चारा नहीं होता। दूसरे ने इस भय की ओर इंगित किया था कि प्रजातंत्र मात्र एक शासन पद्धति न होकर असंगठित भीड़ की...

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