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Marquee | सुलगता सवाल : क्या मॉनसून की बारिश सूखे की भरपायी कर पायेगी ? सूखते जलागार, घटता जलस्तर, पेयजल और सिंचाई के संकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ, नये शोध और आधिकारिक दस्तावेज...जानने के लिए यहां क्लिक करें.

सुलगता सवाल : क्या मॉनसून की बारिश सूखे की भरपायी कर पायेगी ? सूखते जलागार, घटता जलस्तर, पेयजल और सिंचाई के संकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ, नये शोध और आधिकारिक दस्तावेज...जानने के लिए यहां क्लिक करें.

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published Published on May 28, 2016   modified Modified on May 28, 2016

लगातार दो सालों (2014-15 और 2015-16) में सामान्य से क्रमशः 12 और 14 फीसदी कम बारिश के कारण सूखे की मार झेल चुका देश इस साल मानसून से पहले भयावह गर्मी की चपेट में है. चैत के दिन जेठ के दुपहरिया की तरह तपे और देश के कई इलाकों में अप्रैल महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा जो कि सामान्य से कम से कम 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है. पिछले साल लू के कारण तकरीबन 2500 लोगों की मृत्यु हुई जबकि इस साल गर्म हवाओं ने सरकारी अनुमान के मुताबिक अप्रैल महीने तक 370 लोगों की जान ली है.

 

कहा जा रहा है कि भयावह गर्मी के लिए जिम्मेदार अल निनो का असर कम हो रहा है और इस कारण मॉनसूनी बारिश के सामान्य से ज्यादा होने की उम्मीदें जतायी जा रही हैं लेकिन केंद्रीय जल आयोग के आकड़ो एक कुछ अलग कहानी बयान कर रहे हैं. आयोग के आंकड़ों के मुताबिक देश के बड़े जलागारों में पानी 79 फीसद कम हो चला है और जल-बेसिन में पिछले दस साल के औसत से तकरीबन 75 फीसद कम पानी है, सो कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि मॉनसून अच्छा रहे तो भी प्रचंड गर्मी से हुए नुकसान की भरपायी मुश्किल होगी.

 

सूखते जलागार, कई इलाकों में पेयजल की भारी किल्लत, मरते पशुधन और बुंदेलखंड सरीखे कुछ इलाकों में भुखमरी की खबरों के बीच ग्रामीणों को फौरी मदद पहुंचाने की अपील के साथ प्रधानमंत्री को लिखी
गई चिट्ठी
में देश के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा विद्वानों ने ध्यान दिलाया है कि जहां किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं वहां ऊपज ना के बराबर हुई है और जहां सिंचाई की सुविधाएं हैं वहां भी भूजल-स्तर घट रहा है और जलागार सूख रहे हैं.

 

लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारों की पहल में ना तो किसी तरह की तत्परता दिखायी देती है और ना ही करुणा की भावना. पत्र के मुताबिक सबसे बुरी स्थिति तो यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लागू होने के तीन साल बाद केंद्र और राज्य सरकारें इसके क्रियान्वयन को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं जबकि “यह अधिनियम पर ठीक से अमल किया जाय तो गरीब राज्यों के 80 फीसद से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को उनकी महीने भर की खाद्यान्न की जरुरत का 50 प्रतिशत हिस्सा मुफ्त हासिल होगा.”

 

मौजूदा सूखे की स्थिति से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ---

पेयजल

  • कृषि मंत्रालय के अनुसार देश में 1.71 मिलियन ग्रामीण बस्‍तियां हैं इन बस्‍तियों में से 25 प्रतिशत से अधिक (441, 390) पेयजल की कमी का सामना कर रहे हैं। (देखें नीचे लिंक- 1)
  • यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में तकरीबन 9 करोड़ 20 लाख तथा चीन में 11 करोड़ 20 लाख लोग संसाधित पेयजल(इम्प्रूव्ड) की सुविधा से वंचित हैं. साल 1990 से 2012 के बीच भारत सरकार ने 53 करोड़ 40 लाख लोगों को संशाधित पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी है.(देखें नीचे लिंक-2)
  • आर्थिक सर्वेक्षण (2015-16, वित्त मंत्रालय) के मुताबिक देश में केवल 46.6 प्रतिशत परिवारों को उनके आवासीय हाते में पेयजल की सुविधा उपलब्ध है. देश के 43.5 प्रतिशत परिवारों को टैपवाटर की सुविधा हासिल है जबकि 50 प्रतिशत से कहीं कम परिवारों को शौचालय सुविधा उनके आवासीय हाते में उपलब्ध हो पायी है. (देखें लिंक संख्या- 3 और 4)
  • केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 21 अप्रैल से 5 मई 2016 के बीच देश के 91 बड़े जलागारों में जल-संधारण 22 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत पर पहुंच गया है.(देखें लिंक-5)
  • 21 अप्रैल 2016 के दिन इन जलागारों में 34.082 BCM पानी था जो कि इन जलागारों के कुल जल-संधारण क्षमता का 22 प्रतिशत है. पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में यह जल-संधारण 35 प्रतिशत और बीते दस साल के औसत जल-संधारण से 76 प्रतिशत कम है. (देखें लिंक--5)

सिंचाई

  • सिंचाई-सुविधा के बारे में उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक साल 2012-13 में कुल फसलित क्षेत्र के मात्र 33.9 प्रतिशत हिस्सा सिंचित था.
  • सिंचित कृषि के मामले में क्षेत्रवार भिन्नता है. पंजाब, तमिलनाडु तथा उत्तरप्रदेश में कुल फसलित क्षेत्र में निवल सिंचित क्षेत्र 50 फीसदी है जबकि अन्य राज्यों में 50 फीसदी से कम.
  • देश में कुल अल्टीमेट इरीगेशन पोटेंशियल (यूआईपी) लगभग 140 मिलियन हैक्टेयर का है लेकिन पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान सृजित सिंचाई सुविधाओं और सिंचाई सुविधाओं के सृजन की संभावित क्षमता के बीच यानी इरीगेशन पोटेंशियल यूटिलाइज्ड और अल्टीमेट इरीगेशन पोटेंशियल के बीच भारी अन्तर है.
  • बड़ी और मंझोली सिंचाई परियोजनाओं की सिंचाई कार्य-सक्षमता(इरीगेशन एफीसिएंसी) तकरीबन38 प्रतिशत है.
  • भूजल सिंचाई प्रणाली की कार्यसक्षमता 35-40 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत तक और भूगर्भी-जल सिंचाई प्रणाली की कार्यसक्षमता 65-70 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक की जा सकती है.
  • गुजरात, कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश में स्प्रिन्कलर इरिगेशन से सिंचाई-जल की 35-40 प्रतिशत बचत हुई है. ड्रिप इरिगेशन से वानिकी की फसलों की सिंचाई में 40 से 65 प्रतिशत तथा शाक-सब्जी की खेती में 30 से 47 प्रतिशत सिंचाई के पानी की बचत हुई है.

स्रोत-- Economic Survey 2015-16, Ministry of Finance देखें लिंक संख्या- 3 और 4)


वर्षा और तापमान

  • देश में 2016 के जनवरी और फरवरी माह में तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा ऊंचा रहा. जनवरी और फरवरी माह के तापमान में 1.53 डिग्री सेल्सियस का अंतर रहा और अगर 1961-90 की स्थिति से तुलना करें तो इन दो माहों में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस ऊंचा रहा. 2015 का वर्ष 1901 के बाद से तीसरा सबसे गर्म साल रहा.
  • 2016 के अप्रैल से जून माह के बीच सभी मेट्रियोलॉजिकल सब-डिविजनों में तापमान सामान्य से ज्यादा रहने के अनुमान हैं. उत्तर-पश्चिम भारत में अप्रैल से जून के बीच तापमान सामान्य से 1 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रह सकता है.
  • 2016 के अप्रैल से जून माह के बीच मध्यभारत और उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से कहीं ज्यादा गर्म हवाओं के चलने और लू का असर रहने की संभावना है.

    (स्रोत- Seasonal Outlook for Temperature during 2016 hot weather season (April-June), India Meteorological Department, देखें नीचे की लिंक-6)

  • साल 2016 के मानसून के महीनों( जून से सितंबर) में बारिश 111 प्रतिशत(इसमें 5 फीसदी कमी-बेशी के साथ) रहने की संभावना है.
    (स्रोत-- India Meteorological Department on Long Range Forecast for the 2016 Southwest Monsoon Season Rainfall, dated 12 April, 2016, देखें नीचे की लिंक-7)
  • 21 से 27 अप्रैल के बीच 36 मेट्रियोलॉजिकल सब डिविजनों में से 2 में वर्षा अत्यधिक हुई, 20 में वर्षा छिटपुट और कम हुई तथा 14 में बिल्कुल बारिश नहीं हुई.
  • 1 मार्च से 27 अप्रैल के बीच 14 मेट्रियोलॉजिकल सब-डिविजनों में वर्षा अत्यधिक या फिर सामान्य हुई और 22 सब-डिविजनों में कम तथा छिटपुट हुई.
  • पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, झारखंड तथा बिहार में 21 से 27 अप्रैल के बीच पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, झारखंड, बिहार, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, मराठवाड़ा, विदर्भ, तटीय आंध्रप्रदेश, रायलसीमा तथा तमिलनाडु के बहुत से इलाकों में तेज गर्म हवा तथा लू का प्रकोप रहा. इन इलाकों में सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया
  • ओड़ीशा के टिटलागढ़ में तापमान 24 अप्रैल 2016 के दिन 48.5 डिग्री सेंटीग्रेड रहा.
    (स्रोत- Weekly Weather Report 21-27 April, 2016, IMD, देखें लिंक-7)

उपर्युक्त तथ्य से संबंधित लिंक्स

1. Drought situation in the country as per the Ministry of Agriculture

    http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=142598

 

2. United Nations' report entitled: Progress on drinking water and sanitation, Joint Monitoring Programme update 2014 (released in May 2014)

    http://www.im4change.orghttps://im4change.in/siteadmin/tin
ymce//uploaded/Progress%20on%20drinking%20water%20and%20sa
nitation.pdf

 

3. Economic Survey 2015-16, Ministry of Finance

    http://indiabudget.nic.in/es2015-16/echapter-vol1.pdf

 

4. http://indiabudget.nic.in/es2015-16/echapter-vol2.pdf

 

5. Ministry of Water Resources on Storage status of 91 major reservoirs of the country as on April 21, 2016,

     http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=139070

Central Water Commission

     http://www.cwc.nic.in/ (पेज पर लिखे व
ाटरइन्फो शब्द पर क्लि
करें)

 

6. Seasonal Outlook for Temperature during 2016 hot weather season (April-June) from India Meteorological Department,

    http://www.imd.gov.in/pages/press_release.php

 

7. India Meteorological Department on Long Range Forecast for the 2016 Southwest Monsoon Season Rainfall, dated 12 April, 2016,

    http://www.imd.gov.in/pages/press_release.php

 

विषय से सबंधित कुछ और लिंक्स—

Union Budget 2016-17,

    http://www.im4change.org/empowerment/union-budget-73.html?
pgno=2#union-budget-2016-17

 

Open letter from NREGA workers put Govt. to shame,

    http://www.im4change.org/news-alerts/open-letter-from-nreg
a-workers-put-govt-to-shame-4679246.html

 

Once plentiful in rain, North East now faces frequent drought,

    http://www.im4change.org/news-alerts/once-plentiful-in-rai
n-north-east-now-faces-frequent-drought-4678059.html

 

CSE report probes why crop insurance schemes are failing,

    http://www.im4change.org/news-alerts/cse-report-probes-why
-crop-insurance-schemes-are-failing-4677897.html

 

Deepening Agrarian Crisis Endangers Food Security,

    http://www.im4change.org/news-alerts/cse-report-probes-why
-crop-insurance-schemes-are-failing-4677897.html

 

2015 is likely to be a drought year,

     http://www.im4change.org/news-alerts/2015-is-likely-to-be
-a-drought-year-4677253.html

 

Vast Gaps In Irrigation Potential & Utilization,

    http://www.im4change.org/news-alerts/vast-gaps-in-irrigati
on-potential-utilization-4673978.html

 

Disaster Management in India (2011), Ministry of Home Affairs, GoI,

     http://ndmindia.nic.in/UNDP-020811.pdf
     http://www.im4change.org/law-justice/disaster-relief-49.h
tml?pgno=3#disaster-management-in-india-2011

 

Manual for Drought Management, November, 2009, Ministry of Agriculture,

    http://nidm.gov.in/PDF/manuals/Drought_Manual.pdf

 

Disaster Management in India, Ministry of Home Affairs,

    http://www.unisdr.org/2005/mdgs-drr/national-reports/India
-report.pdf

    http://www.im4change.org/law-justice/disaster-relief-49.ht
ml?pgno=4#disaster-management-in-india

 

Disaster Management in India—A Status Report (2004), Ministry of Home Affairs,

    http://www.ndmindia.nic.in/EQProjects/Disaster%20A%20Statu
s%20Report%20-%20August%202004.pdf

    http://www.im4change.org/law-justice/disaster-relief-49.ht
ml?pgno=4#disaster-management-in-indiamdasha-status-report
-2004

 

Contingency Plan-Drought 2000, Ministry of Home Affairs,

    http://www.ndmindia.nic.in/documents/document.html
    http://www.im4change.org/law-justice/disaster-relief-49.ht
ml?pgno=4#disaster-management-in-indiamdasha-status-report
-2004

 

 

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