शशिकांत तिवारी, भोपाल। प्रदेश में 44 फीसदी बच्चे कुपोषण से नहीं उबर पा रहे हैं। जबकि इन्हें शासन द्वारा पोषण, इलाज समेत सारी सुविधाएं दी जा रही हैं। कई जिलों में तो ऐसे बच्चों की संख्या एक तिहाई तक पहुंच गई है। इस मामले में राजधानी की स्थिति तो और भी बुरी है। यहां पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) में भर्ती बच्चों में से 47 फीसदी ही कुपोषण को मात दे...
More »SEARCH RESULT
सोच बदलने से बढ़ेगी साक्षरता- वरुण गांधी
वर्ष 2014 में देश में तीस करोड़ से ज्यादा बच्चे 6-17 के आयुवर्ग के थे। देश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या क्रमशः 1,191,719 और 233,845 हैं, जबकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा सकल पंजीकरण अनुपात क्रमशः 73.6 और 49.1 है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में तो यह अनुपात महज 21.1 फीसदी है। वहीं प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात क्रमशः 28 और 40...
More »भारत के गांव क्या कहते हैं- कैरोल गियाकोमो
भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने और वहां की भयावह निर्धनता को कम करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलों को समझने के लिए उदयपुर से मात्र 45 मिनट की दूरी पर बसा भेसड़ा खुर्द गांव सही जगह है। यहां 29 वर्षीय कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर रोहित नागड़ा मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही अपनी पत्नी और परिवार के साथ रहते हैं। हालांकि नागड़ा के पास स्थानीय विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस की...
More »धमतरी जिले में गंगरेल बांध के झरन से ग्रामीण बुझाते हैं प्यास
धमतरी। आज दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है। लोग चांद पर भी बस्ती बसाने की बात सोचने लगे हैं। लेकिन धमतरी जिले में एक ऐसा गांव भी है, जहां के लोग झरन पानी यानी ऊंचे स्थान से रिसते झरनानुमा स्थान पर पाइप लगाकर पानी भरते हैं और उसे छानकर पीते हैं। क्योंकि गांव के हैंडपंप बंद हो गए है और बोर ने भी जवाब दे दिया है। जिला मुख्यालय से...
More »सरकारी स्कूलों के ज्यादातर बच्चे नहीं बोल पाते ए, बी, सी, डी...
रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग इस बार पहली से आठवीं तक वार्षिक परीक्षा लेने की तैयारी कर रहा है। वहीं सरकारी स्कूलों में पिछले चार-पांच सालों से सतत मूल्यांकन के नाम पर चल रहे फेल न करने के खेल ने पढ़ाई का कबाड़ा कर दिया है। आलम यह है कि राजधानी के सरकारी स्कूलों के पांचवीं क्लास के ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी की ए, बी, सी, डी...(अल्फाबेट) भी ठीक से नहीं बोल पाते...
More »