हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...
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सांसदों की मांग, किसानों से प्याज खरीद ले सरकार
नई दिल्ली। प्याज के किसानों की व्यथा और दालों की बढ़ती कीमत के बारे में लोकसभा में चर्चा हो रही है। मंगलवार को भाजपा के सांसदों ने लगातार दूसरे दिन इस मामलें में केंद्र सरकार का घेराव किया। सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती और कैराना से सांसद हुकुम सिंह ने किसानों की इस मामले को लोकसभा में उठाते हुए किसानों से प्याज खरीदने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने...
More »किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं
लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
More »राजस्थान के 14427 गांव अभावग्रस्त घोषित
जयपुर। सूखे के हालात से जूझ रहे राजस्थान में राज्य सरकार ने 19 जिलों के 14427 गांवों को अभावग्रस्त घोषित कर दिया है। इन गांवों में अब विशेष राहत कार्य चलाए जाएंगे और गर्मिर्यो की छुट्टियों में भी स्कूलों में मिड डे मील वितरित होगा। ये वे गांव हैं जहां खरीफ की पर्याप्त फसल नहीं हुई और सूखे के हालात हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने इस वर्ष मार्च में...
More »अब चूके तो हाथ धो बैठेंगे पानी से- अनिल जोशी
पूरे देश में पानी को लेकर झगड़े शुरू हो चुके हैं। कहीं धारा-144 लगी है, तो कहीं बंदूकों के साये में पानी की चौकीदारी हो रही है। जगह-जगह पानी पर ताले लगे हैं। कई जगह रसूखदारों और दबंगों ने पानी पर अपना अधिकार जमा लिया है। पहले फसल चौपट हुई थी और अब लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा। पानी तो खैर पहले भी बिकता था, अब...
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