तीन तलाक पर आये फैसले को किसी संस्था या धार्मिक परंपरा विशेष के खिलाफ न मानकर एक प्रगतिशील कदम के रूप में देखना चाहिए, जो समाज के साधारण एवं वंचित वर्ग के प्रति निष्पक्ष न्याय व्यवस्था का फैसला है. इस विषय पर मीडिया के सारे साधनों में बहस और चर्चा हुई है, जिसमें धार्मिक संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ साधारण जन और पीड़ित पक्षों ने भी बहस की है. यह...
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धर्म, राजनीति और हिंसा-- रविभूषण
अस्सी के दशक के मध्य से 'धर्मगुरुओं' की संख्या जिस प्रकार बढ़ी है, उसने एक साथ कई प्रकार की चुनौतियां और समस्याएं खड़ी कर दी हैं. ये समस्याएं वस्तुत: कानून-व्यवस्था और प्रशासन से संबंधित हैं. 29 अप्रैल, 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना एक सामाजिक संगठन के रूप में की गयी थी. सामाजिक संगठन हों या सांस्कृतिक संगठन, बाद में चलकर इन सबके कार्य-व्यापार और तौर-तरीके भिन्न हो गये. बलूचिस्तान...
More »अनुच्छेद 35 ए का दंश -- भीम सिंह
अनुच्छेद-35 ए जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिकों पर एक दोमुंही तलवार है जिसे आज तक देश के बुद्धिजीवियों और राजनीतिकों के संज्ञान में नहीं लाया गया। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ एक साजिश थी, जिसकी शुरुआत हुई 14 मई 1954 को, जब भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक अध्यादेश जारी करके अनुच्छेद-35 के साथ ‘ए' जोड़ दिया। भारतीय संविधान के अध्याय-3 में भारतीय नागरिकों को जो मानवाधिकार दिए...
More »मुस्लिम महिलाओं को मिली बड़ी जीत - क्षमा शर्मा
22 अगस्त, 2017 की तारीख खासकर मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कही जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाला फैसला सुनाया, उसमें विभिन्न् धर्मों को मानने वाले न्यायाधीश थे। इस फैसले से मुस्लिम औरतों के मन से शादी के बाद हमेशा बना रहने वाला तलाक का डर खत्म हो जाएगा। धर्म की आड़ लेकर पुरुषों ने जिस तरह से उन्हें...
More »मुस्लिम महिलाओं को मिली बड़ी जीत - क्षमा शर्मा
22 अगस्त, 2017 की तारीख खासकर मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कही जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाला फैसला सुनाया, उसमें विभिन्न् धर्मों को मानने वाले न्यायाधीश थे। इस फैसले से मुस्लिम औरतों के मन से शादी के बाद हमेशा बना रहने वाला तलाक का डर खत्म हो जाएगा। धर्म की आड़ लेकर पुरुषों ने जिस तरह से उन्हें...
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