पिछले हफ्ते भारत में आर्थिक सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पच्चीस साल पूरे हुए। सरकार ने इस अवसर की अनदेखी की, और इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है: आर्थिक सुधार पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शुरू किए थे, और तब भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था। (स्वदेशी जागरण मंच का वजूद आज भी है।) कल्पना करें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी...
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सरकारी पोटली खुलते ही बढ़ने लगा दलहन का रकबा
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली दलहन फसलों के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य की पोटली खोली तो किसानों ने भी दिल खोलकर दालों की खेती करनी शुरू कर दी है। खरीफ बुवाई का ताजा आंकड़ा तो कुछ यही बयां कर रहा है। किसानों का कहना है कि दलहन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार घरेलू किसानों पर भरोसा करे तो उसे विलायती दाल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दलहन फसलों की...
More »कभी अबरख से चमकता था, अब ढीबरा तले दबा कोडरमा-- जीवेश
कोडरमा शहर व मुख्य पथ से महज छह किलोमीटर हट कर है छतरबर का इलाका. इस घनी बस्ती से सट कर शुरू होता है जंगली क्षेत्र. झाड़ियोंवाले इस जंगल में थोड़ी दूर जाने पर ही सड़क के किनारे सुरंगें दिखनी शुरू हो जाती हैं. इन सुरंगों से जमीन के अंदर घुस ढीबरा (अबरख का स्क्रैप) चुनते हैं गांववाले. झाड़ियों के बीच स्थित पगडंडी पर तीर का लाल (रात में...
More »सरकार की पहल से गरीबी कम होगी: अरविन्द पनगढ़िया
जयपुर: जाने -माने अर्थशास्त्री तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. अरविन्द पनगढिया ने आज कहा कि किसी भी सरकार का आकलन उसके कार्यकाल के दौरान हुई प्रगति पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की पहल से आने वाले वर्षो में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और तेज होगी और गरीबी कम होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम' के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इसके...
More »खेती में कोताही बर्दाश्त नहीं
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ सहयोगियों को कड़ा संदेश भी दिया है। खास संदेश है कि सरकार की प्राथमिकता वाले कृषि क्षेत्र में कोताही बर्दाश्त नहीं है। तभी को कृषि मंत्रालय से जुड़े दोनों राज्य मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। समूची सरकार में एक मात्र कृषि मंत्रालय है, जहां तीन-तीन राज्य मंत्रियों का सबसे बड़ा अमला है। प्रधानमंत्री मोदी...
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