-आउटलुक, “हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं” पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षों से ही हिंदू सांप्रदायिक शक्तियां भारत के अतीत को अपने चश्मे से देखकर इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार बदलने की कोशिश करती रही हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक इस अभियान का नेतृत्व किया और कई पुस्तकें लिखीं। 1964 में ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन संस्थान’...
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काबुल: अभी असल सवाल सभी जातियों और कबीलों को मिला के सरकार बनाने का है
-जनपथ, यह तो अच्छी बात है कि भारत सरकार की तालिबान से दूरी के बावजूद उन लोगों ने अभी तक भारतीय नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया है। हमारा दूतावास सुरक्षित है। हमारे जहाज सुरक्षित हैं और हमारे लोगों को भी भारत लौटने दिया जा रहा है। भारत सरकार और हमारा उड्डयन मंत्रालय भी पर्याप्त सक्रिय हैं। यह ध्यान देने लायक है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरह...
More »थकावट, सूंघने की क्षमता में कमी, फेफड़ों की दिक्कत- नई स्टडी में कोविड से लंबे समय तक रहने वाले 55 प्रभावों की हुई पहचान
-द प्रिंट, कोरोनावायरस पर मौजूदा अध्ययनों की समीक्षा करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के बाद इसके 55 ऐसे प्रभाव होते हैं जो लंबे समय तक शारीरिक कष्ट का कारण बनते हैं. बीमारी से उबरे लोगों में थकावट महसूस होना एक प्रमुख लक्षण है. जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित होने वाले एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 18,251 पब्लिकेशन को खंगाला और इनमें से 15 अध्ययनों को अंतिम विश्लेषण के लिए...
More »पाकिस्तान के उर्दू अख़बार चीन और तालिबान पर क्या लिख रहे हैं? - पाकिस्तान उर्दू प्रेस रिव्यू
-बीबीसी, इमरान ख़ान ने कहा है कि कोई भी ताक़त पाकिस्तान और चीन की दोस्ती में दरार नहीं डाल सकती है. चीनी राजदूत से मुलाक़ात के बाद इमरान ख़ान ने कहा कि किसी दुश्मन की ताक़त को पाकिस्तान और चीन की दोस्ती को कमज़ोर करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. इस मुलाक़ात में इमरान ख़ान ने एक दफ़ा फिर इस बात को दोहराया कि अफ़ग़ानिस्तान की समस्या का कोई सैन्य हल नहीं है....
More »अमेरिका की यूज एण्ड थ्रो पॉलिसी से 3 बार जूझने के बाद अब अफगानिस्तान के आगे क्या बचा है
-द प्रिंट, तालिबान की फतह अवश्यंभावी दिख रही है. अफगानिस्तान पिछले एक-दो सप्ताह से दुनिया भर में सुर्खियों में, लेखों में छाया है. गौर कीजिए कि 90 फीसदी लेखों और बहसों में यही मुद्दा उठाया जा रहा है कि अमेरिका से लेकर भारत और चीन तथा बेशक पाकिस्तान आदि दूसरे देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा. लेकिन जिस मुल्क, अफगानिस्तान और उसके चार करोड़ आवाम को सबसे ज्यादा तवज्जो और जज़्बाती...
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