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भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए नीति आयोग के पास ये है ब्लूप्रिंट

-द प्रिंट, परमिट 45 दिनों के अंदर मिलने की तेज और प्रभावी प्रक्रिया, व्यावसायिक गतिविधियों के लिए बिजली का कनेक्शन 15 दिनों के अंदर देना, 90 फीसदी भूमि अधिग्रहण काम या निर्माण कार्य शुरू होने से पहले पूरा होने की अनिवार्यता, मुकदमेबाजी घटाने और व्यवस्थित भूमि अधिग्रहण के लिए लैंड टाइटलिंग लॉ पर अमल. ये कुछ ऐसे मुख्य बिंदु हैं जिन्हें भारत को ‘ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाने और देश में जरूरी बुनियादी...

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महाराष्ट्र में ओलावृष्टि से अंगूर की फसलों को भारी नुकसान, कर्नाटक में कोडगू में ओले गिरने से लोग हैरान

-गांव कनेक्शन, महाराष्ट्र में उस्मानाबाद जिले के किसान हीरालाल मारुति ढगे दो दिन से सदमे में हैं। 18-19 फरवरी की रात को हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि से उनका एक एकड़ का तैयार अंगूर का बाग गिर गया और 3 एकड़ में ज्वार और चने की फसल भी बर्बद हो गई है। हीरालाल मारुति ढगे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "अगले महीने हमारा अंगूर कट जाता। हमें उम्मीद थी...

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बावडी: कुछ अनछुए पहलू

-वाटर पोर्टल, सदियों से बावड़ी हमारी सनातन जल प्रदाय व्यवस्था का अभिन्न अंग रही है। अलग-अलग इलाकों में बावड़ियों को अलग-अलग नामों यथा सीढ़ीदार कुआं या वाउली या बाव इत्यादि के नाम से पुकारा जाता है। अंग्रेजी भाषा में उसे स्टेप-वैल कहा जाता है। इस संरचना में पानी का स्रोत भूजल होता है। भारत में इस संरचना का विकास, सबसे पहले, देश के पानी की कमी वाले पश्चिमी हिस्से में हुआ।...

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कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

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पंचतत्व: ये खलनायक हरियाली, जो हमारे जंगलों को चट कर रही है…

-जनपथ, साल 2017 की बात है जब कर्नाटक के गुंदुलुपेट-ऊटी मार्ग पर बांदीपुर नेशनल पार्क में करीब 715 वर्ग किलोमीटर जंगल जलकर स्वाहा हो गया था. वजह थी लैंटाना झाड़ी, जो समूचे जंगल में छा गयी थी. लैंटाना नाम शायद आपके लिए अपरिचित हो, पर इसकी झाड़ी से अपरिचित नहीं होंगे. झारखंड में हम लोग इसको पुटुस कहते हैं. लैंटाना अमूमन गर्मियों में सूख जाती है और बरसात में इसकी नयी पौध...

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