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किसान हित या खेती का कॉरपोरेटाइजेशन

-आउटलुक, केंद्र सरकार ने हाल में किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए आर्थिक उदारीकरण की दिशा में तीन बड़े सुधार किए हैं। इनमें दो सुधारों के लिए पांच जून को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी किए, क्योंकि इन फैसलों को कानूनी शक्ल देने के लिए सरकार संसद के सत्र का इंतजार नहीं करना चाहती थी। ये अध्यादेश हैं फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड ऐंड कॉमर्स (प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस, 2020 और फार्मर्स (एम्पावरमेंट...

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कोविड-19: अनलॉक पड़ रहा है भारी, भारत 15 सबसे ज्यादा जोखिम वाले देशों में शामिल

-डाउन टू अर्थ, लॉकडाउन के बाद अनलॉक करने की रणनीति देश पर भारी पड़ती दिख रही है। भारत दुनिया के उन 15 देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है, जहां पर सबसे ज्यादा कोविड-19 संक्रमण फैलने का खतरा है। यही नहीं देश के अनलॉक होने से संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका है। ऐसी स्थिति में दोबारा लॉकडाउन करने की भी स्थिति आ सकती है, इस बात...

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अनलॉक 1: काम पर लौटने को लेकर हम इतने डरे हुए क्यों हैं?

-बीबीसी, घर पर रहने के आदेश वापस लिए जाने लगे हैं और हममें से कई लोग काम पर लौटने लगे हैं. भारत में भी सोमवार से कई आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो रही हैं. लेकिन सामान्य दिनचर्या को फिर से शुरू करने में आपको घबराहट क्यों है? जब हमें पहली बार अपने घरों तक सीमित किया गया तब हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लौटने के ख़्वाब देखते थे. हम अपने पसंदीदा पब, थिएटर...

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भारत में ‘गन्स, जर्म्स और स्टील का संकट’ है, लेकिन भारतीय उद्योग जगत ख़ामोश है

-द प्रिंट,  ‘डर की वजह से बहुत से लोग बोलते नहीं हैं, लेकिन सवाल ये है, कि किस चीज़ का डर?’ ये सवाल उद्योगपति राजीव बजाज ने, कोरोनावायरस से निपटने के विषय पर, हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ एक बातचीत में किया. ये वीडियो क्लिप भारत के कॉरपोरेट जगत के प्रमुखों के बीच, निजी व्हाट्सएप ग्रुप्स पर व्यापक रूप से वायरल हुई, और उनकी साफ़दिली के लिए...

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पर्दे के पीछे, ‘मिशन आत्मनिर्भर’ की कठपुतली बड़ी कंपनियों की उंगलियों पर थिरकने लगे

-इंडिया टूडे, अब केवल दो कंपनियों की मोबाइल सेवा चलती है. हवाई यात्रा से बेबी फूड तक और मक्खन से लेकर म्युचुअल फंड तक बाजार में एकाधिकार जम गए हैं. उपभोक्ताओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. मोबाइल फोन पर मई, 2025 की कोई तारीख दिख रही है. नौकरी की चिंता में मुश्किल से सो पाया, वरुण चौंककर जग गया. आत्मनिर्भरता की आवाजों के बीच बाजार पर एकाधिकार या कार्टेल का खतरा मंडरा...

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