SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 177

जलवायु संकट के सबक-- अरुण तिवारी

पिछले ग्यारह हजार तीन सौ सालों की तुलना में आज पृथ्वी सबसे गर्म है। उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सागर में इस बार 1970 के बाद सबसे कम बर्फ जमी है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से बाहर दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ भंडार, तिब्बत में ही है। इसी नाते तिब्बत को ‘दुनिया की छत' कहा जाता है। इस नाते आप तिब्बत को दुनिया का तीसरा ध्रुव भी कह सकते हैं। यह...

More »

मैली होकर बेकार हो जायेंगी नदियां

नदियां हमारी संस्कृति की खेवनहार हैं. ये महज जल का स्रोत नहीं, बल्कि हमारे सुख-दुख की साथी हैं. लेकिन विकास की अंधी दौड़ में हम इन्हें इतना गंदा कर चुके हैं कि अधिकांश नदियां अब किसी काम की नहीं रह गयी हैं. पितृपक्ष पर पितरों को तर्पण के लिए यमुना के केशीघाट पर पहुंचे आइआइटी मद्रास के सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्रीश चौधरी का कैसा रहा अनुभव, आइए जानें श्रीश...

More »

पांच फीट चौड़ी रह गयी स्वर्णरेखा, इसे बचाइए

राजधानी रांची में हरमू नदी का जीर्णाेद्धार हाे रहा है. अच्छी काेशिश है. पर दूसरी आेर झारखंड की लाइफलाइन कही जानेवाली स्वर्णरेखा नदी की स्थिति काफी खराब हाे गयी है. नगड़ी का रानीचुआं इस नदी का उदगम स्थल है. हटिया में इस नदी की चाैड़ाई पांच फीट हाे गयी है. पानी सड़ गया है. अतिक्रमण की मार भी यह नदी झेल रही है. अगर इसे नहीं बचाया...

More »

हरित भारत मिशन से जुड़ेंगे उद्योग

जलवायु परिवर्तन के खतरों से जूझने के लिए पर्यावरण मंत्रालय कई नई पहल पर मंथन कर रहा है। हरित भारत मिशन से कई मंत्रालयों की योजनाओं को जोड़ने के लिए पहल की जा रही है। मनरेगा जैसी महात्वाकांक्षी योजनाओं में इसी अहम भूमिका की संभावनाओं को महसूस कर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है। भारत ने पेरिस सम्मलेन को विकासशील देशों पर बंदिशों को थोपने का...

More »

कृष्णा का गोदावरी से आज होगा मिलन- मिथिलेश झा

नदियों के तट पर सभ्यताएं तो विकसित होती ही हैं, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहां की नदी और उसमें उपलब्ध के उचित प्रबंधन पर ही निर्भर होती है. खासकर भारत जैसे देश में जब मॉनसून दगा दे जाये, तो नदियों और नहरों का पानी ही किसानों का सहारा होता है. प्रकृति ने भारत को विशाल नदियों की नेमत बख्शी है. इसमें बड़ी से छोटी नदियां तक शामिल हैं. कई...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close