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न्यूज क्लिपिंग्स् | पांच फीट चौड़ी रह गयी स्वर्णरेखा, इसे बचाइए

पांच फीट चौड़ी रह गयी स्वर्णरेखा, इसे बचाइए

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published Published on Oct 5, 2015   modified Modified on Oct 5, 2015
राजधानी रांची में हरमू नदी का जीर्णाेद्धार हाे रहा है. अच्छी काेशिश है. पर दूसरी आेर झारखंड की लाइफलाइन कही जानेवाली स्वर्णरेखा नदी की स्थिति काफी खराब हाे गयी है. नगड़ी का रानीचुआं इस नदी का उदगम स्थल है. हटिया में इस नदी की चाैड़ाई पांच फीट हाे गयी है. पानी सड़ गया है. अतिक्रमण की मार भी यह नदी झेल रही है. अगर इसे नहीं बचाया गया, ताे यह नदी बहुत जल्द अस्तित्व खाे देगी.

 

प्रभात खबर टोली, रांची
झारखंड की लाइफलाइन कही जानेवाली स्वणरेखा नदी अतिक्रमण और प्रदूषण के कारण विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गयी है़ अतिक्रमण के कारण यह नदी कई जगहों पर नाले की तरह संकरा हो गयी है़ नदी के किनारे स्थित फैक्टरियों से इसमें बिना रोक-टोक कचरा बहाये जा रहे हैं. प्रदूषण के कारण नदी का पानी काला हो गया है़ पानी से बदबू आती है़ इनसान तो दूर, इस नदी के पानी का इस्तेमाल जानवरों के करने लायक तक नहीं रहा़ नदी का पानी पूरी तरह से जहरीला हो गया है़ उयहां तक की अंतिम संस्कार के लिए भी परिजन इस नदी के पानी का इस्तेमाल नहीं करते़.

तीन एकड़ से अधिक जमीन बेची
जमीन दलालों ने 20 फीट की स्वर्णरेखा नदी को पांच फीट का बना दिया है. दलालों ने इस नदी के किनारे तीन एकड़ से अधिक जमीन को बेच दिया है़ कई जगहों पर नदी का रास्ता तक बदल दिया गया है़ नदी के प्रवाह के रास्ते में सैकड़ों की संख्या में पक्के मकान बन गये हैं. काॅलोनियां बस गयी हैं. हटिया में रिवर व्यू कॉलोनी से लेकर भांति नगर कॉलोनी तक स्वर्णरेखा नदी की अधिकतम चौड़ाई आठ फीट से अधिक नहीं है. शेष पेज 15 पर

 

 

कई बार चला अभियान 
ग्रामीणों ने स्वर्णरेखा नदी को प्रदूषण व अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए कई बार अभियान चलाया. सरकार से मदद मांगी. सरकार की ओर से भी नदी बचाव अभियान चलाया गया. पर, स्वर्णरेखा की स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ती ही जा रही है.

 

 

गंदे पानी का इस्तेमाल करने पर मजबूर ग्रामीण
हटिया के ग्रामीण क्षेत्र में आज भी स्वर्णरेखा नदी लाइफ लाइन की भूमिका निभाती है. ग्रामीण नाला बन चुकी स्वर्णरेखा नदी के जल का इस्तेमाल अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से करते हैं. अतिक्रमण और सरकार की उदासीनता के कारण लोग गंदा
पानी का इस्तेमाल करने को 
विवश हैं. 

 

 

अंतिम संस्कार के लिए भी पानी नहीं
शुक्रवार को हटिया निवासी गंगा त्रिपाठी की मां का अंतिम संस्कार करने लाेग स्वर्णरेखा नदी पहुंचे़ दाह संस्कार के बाद लोगों को हाथ-पैर धाेने के लिए स्वच्छ पानी तक नसीब नहीं हुआ. लोगाें ने कुएं से पानी मंगाया. फिर हाथ-पैर धोकर घर गये. पितृपक्ष पर लोग पूर्वजों को पानी देने के लिए अपने घरों से लेकर जा रहे हैं.

 

 

कभी सोना उगलती थी स्वर्णरेखा
हटिया निवासी रमेश तिवारी बताते हैं : स्वर्णरेखा नदी से कभी सोना निकलता था. नदी का पानी इतना मीठा और साफ था कि इलाके के लोग उसे ही पेयजल के रूप में इस्तेमाल करते थे. लेकिन, आज आदमी शौच के लिए भी स्वर्णरेखा के पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. छठव्रतियों ने भी पिछले दो सालों से स्वर्णरेखा जाना छोड़ दिया है. ज्यादातर लोग अब धुर्वा डैम में छठ करने जाते हैं.

 


http://www.prabhatkhabar.com/news/ranchi/story/547820.html


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