-वाटर पॉर्टल, पिछले कुछ बरसों से, नदियों और भूजल का पुराना अन्तरंग कुदरती रिश्ता बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। अनदेखी के कारण इन दिनों वह कुछ अधिक ही बदहाल है। यह रिश्ता सुधरने के स्थान पर साल-दर-साल और अधिक बिगड़ रहा है। उसका संकट बढ़ रहा है। रिश्ते के संकटग्रस्त होने के कारण नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह की मात्रा और अवधि घट रही है। पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। नदी-तंत्र...
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बुझ रही है कुदरत की लालटेन
-डाउन टू अर्थ, मसूरी के लंडोर में रहते हुए मुझे दो साल से अधिक हो गए हैं लेकिन मैंने कभी जुगनुओं को नहीं देखा था। स्थानीय लोग बताते हैं कि उन्होंने भी पिछले दो दशकों से जुगनू नहीं देखे। दुनियाभर में जुगनुओं के गायब होने का जो ट्रेंड देखा जा रहा है, लंडोर भी उससे अछूता नहीं है। लेकिन मुझे आश्चर्य उस वक्त हुआ जब इस साल जुलाई-अगस्त के महीने में...
More »सिंचाई की वजह से भारत में बढ़ रहा है हीट स्ट्रेस
-डाउन टू अर्थ, क्या खेतों में की गई सिंचाई किसी इंसान के लिए हानिकारक हो सकती है, बात अटपटी है पर सही है। हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), गांधी नगर द्वारा किए एक अध्ययन के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में सिंचाई बढ़ने के साथ वहां रहने वाले लोगों में हीट स्ट्रेस (गर्मी से होने वाला तनाव) में वृद्धि देखी गई है। यह शोध आईआईटी, के साथ पर्ड्यू...
More »गंगा उद्भव योजना: गाद से बेहाल मोकामा टाल
-गांव कनेक्शन, बिहार की राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर पूरब की ओर बसे मोकामा क्षेत्र की कई पहचान है। कुछ पहचान ऐतिहासिक है और कुछ पौराणिक। इन पहचानों से इतर एक और पहचान है, जो यहां की अर्थव्यवस्था से गहरे जुड़ी हुई है। मौसम के लिहाज से दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार दो ध्रुवों पर खड़ा नजर आता है। दक्षिण बिहार में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी और अधिक सर्दी पड़ती है।...
More »हिंदी दिवस: भाषा, शब्द और साम्राज्यवाद
-न्यूजलॉन्ड्री, 15वीं सदी का आख़िरी दशक ख़त्म होने को था. विश्व के महासागर एक ऐसी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो रहे थे जो इससे पूर्व कभी नहीं देखी गयी थी. चप्पू से चलने वाले जहाज़ों की अपनी सीमाएं थीं. उनसे छिछली तटरेखा के इलाक़ों में तो परिवहन हो सकता था लेकिन समुद्र की अपार नीली जल-राशि में घुसने के लिए साहस के अलावा उन हवाओं का भी ज्ञान ज़रूरी था जो...
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