एक बार मैं रीवा जिले की एक दलित बस्ती में गया। बस्ती की चारों तरफ ऊंची जाति के किसानों के खेत थे और इन किसानों ने बस्ती तक जाने के लिए कोई रास्ता देने से इनकार कर दिया था। बस्ती के अंदर छोटी-छोटी सड़कें थीं, लेकिन ये सड़कें बस्ती के आखिरी छोर पर आकर अचानक खत्म हो जाती थीं। वह बस्ती उस टापू की तरह लग रही थी, जो चारों...
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आजाद देश की गुलाम किशोर आबादी ?
एक अरब इक्कीस करोड़ की आबादी वाले भारत में 20 फीसदी व्यक्ति किशोर उम्र (10-19साल) के हैं, मतलब किसी भी अन्य देश के किशोरवय लोगों की संख्या की तुलना में ज्यादा।( भारत में इस उम्र के लोगों की कुल तादाद 24 करोड़ 30 लाख है जबकि चीन में किशोरवय लोगों की संख्या तकरीबन 20 करोड़ है।) हरियाणा के बागपत और असम के गुवाहाटी से आने वाले महिला-उत्पीड़न की खबरों के बीच यह जानना महत्वपूर्ण...
More »बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें
बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...
More »छुआछूत अब भी जारी है....
अनदेखी और उपेक्षा के बीच छुआछूत का बरताव जारी है और देश में अस्पृश्यता की समस्या मौजूद है। यह लाखों लोगों के लिए उम्र भर दुःख और अपमान के बीच रहने और जीने का मामला है। इसकी कल्पना बरतर सामाजिक हालातों में जीने वाले नहीं कर सकते लेकिन जैसा कि गुजरे 14 अप्रैल, 2012 से शुरु हुए अनुच्छेद 17 अभियान के अंतर्गत इंडिया अनहर्ड द्वारा जारी 22 छोटे और आसानी...
More »कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)
बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...
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