द इंडियन एक्सप्रेस (6 जनवरी, 2021) में प्रकाशित अपने एक लेख में अरविंद सुब्रमण्यन और उनके सह-लेखक ने 17 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के हाल ही में जारी पांचवें दौर के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि भारत ने शिशु मृत्यु दर (IMR), पांच वर्ष से कम-मृत्यु दर (U5MR) और नवजात मृत्यु दर (NNMR) जैसे कई मामलों में प्रगति की है....
More »SEARCH RESULT
देश में पोषण के हालात बदतर फिर भी पोषण से जुड़ी अहम कमेटियों ने नहीं की मीटिंग!
-न्यूजक्लिक, पोषण से जुड़ी भारत सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्तर की कमेटियां हैं। इन तीनों कमेटियों की जिम्मेदारी इतनी बड़ी है कि अगर यह काम न करें तो इसका मतलब है कि देशभर में पोषण की देखभाल करने वाला कोई माई बाप नहीं है। यह कमेटियां देशभर में पोषण से जुड़ी नीतियां बनाती हैं। इन नीतियों को लागू करने का काम करती हैं। राज्य से लेकर केंद्र शासित प्रदेश में...
More »छह राज्यों में हुई बर्ड फ्लू की पुष्टि, दिल्ली में रिपोर्ट का इंतजार
-डाउन टू अर्थ, हरियाणा के पंचकुला जिले में मुर्गी पालने वाले दो फार्मों में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी से एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू) के पॉजीटिव नमूने मिलने, गुजरात के जूनागढ़ जिले में प्रवासी पक्षियों और राजस्थान के सवाई माधोपुर, पाली, जैसलमेर और मोहर जिलों में कौओं में पॉजीटिव नमूने मिलने की पुष्टि होने के बाद केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने प्रभावित राज्यों को सुझाव दिया है कि वे एवियन फ्लू बीमारी को रोकने...
More »न्यू इंडिया में रैडिकलाइजेशन की बढ़ती स्वीकार्यता
-द वायर, ‘भारत के मुसलमानों में दुनिया के मुसलमानों की तुलना में कम कट्टरता है. इसलिए भारत में आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन का खतरा नहीं.’ 2014 के बाद जो सरकार बनी थी उसके गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 नवंबर, 2017 को यह बयान दिया. उसके एक साल बाद हिंदुस्तान टाइम्स के एक कार्यक्रम में भारतीय मुसलमानों को शाबाशी देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रेनवाश की तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय मुसलमानों ने रैडिकलाइजेशन नहीं होने दिया...
More »लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!
11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...
More »