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ढाई लाख छात्रों की अटकी स्कॉलरशिप, रकम नहीं आई तो बंद हो गए बैंक खाते

रायपुर। स्कूली बच्चों को ऑनलाइन स्कॉलरशिप देने की योजना तकनीक में उलझ कर रह गई है। पिछले साल लोक शिक्षण संचालनालय ने ऑनलाइन स्कॉलरशिप के लिए बैंकों में खाते खुलवाए ताकि स्कॉलरशिप सीधे खाते में जमा हो, लेकिन पैसे नहीं आए। मिडिल स्कूल के ढाई लाख से अधिक एसटी/एससी बच्चों को साल 2016-17 की स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है। प्रदेश में प्राइमरी-मिडिल स्कूल के 28 लाख बच्चों के लिए 200 करोड़...

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बेदम इकाई का निजीकरण ही भला - डॉ. भरत झुनझुनवाला

आखिरकार सरकार ने एअर इंडिया के निजीकरण का निर्णय ले ही लिया। सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण के विरुद्ध पहला तर्क मुनाफाखोरी का दिया जा रहा है। जैसे ब्रिटिश रेल की लाइनों की कंपनियों का निजीकरण कर दिया गया। पाया गया कि रेल सेवा की गुणवत्ता में कमी आई। रेलगाड़ियों ने समय पर चलना बंद कर दिया। सुरक्षा पर खर्च में कटौती हुई, परंतु रेल का किराया नहीं घटा। दक्षिण अमेरिका...

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-पूरी तरह नहीं मिल सकता RIGHT TO PRIVACY, इसका हो सकता है नियमन

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि निजता का अधिकार ऐसा अधिकार नहीं हो सकता जो पूरी तरह मिले और सरकार के पास कुछ शक्ति होनी चाहिए कि वह इस पर तर्कसंगत बंदिश लगा सके. न्यायालय ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए बुधवार को यह टिप्पणी की कि निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया जा सकता है कि नहीं. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर...

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जाति के भंवर में उलझा लोकतंत्र - एनके सिंह

भारत के संविधान की अनुसूची-3 में मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों (जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं) द्वारा पद ग्रहण करने से पहले ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है। उन्हें इस बात की शपथ लेनी होती है कि वे संविधान में 'सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखते हैं। संविधान निर्माताओं ने सोचा होगा कि सार्वजनिक रूप से शपथ लेने से मानव बंध जाता है, क्योंकि उसे ईश्वर से डर लगे या...

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स्कूली शिक्षा में भेदभाव की विषबेल-- प्रियंका कानूनगो

भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई प्रकार से शैक्षिक भेदभाव व्याप्त है, खासतौर पर स्कूली शिक्षा में इसकी जड़ें बहुत गहरे जम चुकी हैं। इस विषबेल को खाद, पानी, पोषण देने वाला ताकतवर समूह शिक्षा का बाजारीकरण कर उस बाजार का नियंत्रक बना बैठा है, जो कि संगठित माफिया की तरह कार्यरत है। वह न केवल नियमों को तोड़ता है बल्कि मनमाफिक नियम निर्धारण में भी पर्याप्त सक्षम है।...

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