हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव के लिए सरकार के सुझावों को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने एक बार फिर नकार दिया है। कोलेजियम ने कहा है कि जजों की नियुक्ति में निर्णायक अधिकार सरकार के पास होने से न्यायिक स्वतंत्रता कमजोर होगी और संविधान की मूल विशेषता प्रभावित होगी। इस मुद्दे पर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध दूर करने के लिए हाल ही में विदेश...
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अपनी हदों में रहें तो ही बेहतर - शंकर शरण
इधर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विवाद की खबरें लगातार आ रही हैं। वित्त मंत्री ने संसद में कहा न्यायपालिका इतना हस्तक्षेप कर रही है कि लगता है कार्यपालिका के पास बजट पास करने के सिवाय कोई काम नहीं बचेगा। न्यायपालिका हर बात में घुसपैठ करती रहती है। इसके बाद रक्षा मंत्री ने कहा कि न्यायाधीशों की कई टिप्पणियां बेमतलब होती हैं। इसके बाद एक और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी...
More »न्यायपालिका को तो बख्श दें: एन के सिंह
फ्रांस के समाजशास्त्री अलेक्सी डे टॉक्विले और ब्रिटेन के राजनीतिक दार्शनिक जॉन स्टुअर्ट मिल, दोनों ने 25 साल के अंतराल में लोकतंत्र के दो नए खतरों के प्रति आगाह किया था। पहले का मानना था कि इसमें बहुमत के आतंक के शिकार व्यक्ति के पास बचने का कोई चारा नहीं होता। दूसरे ने इस भय की ओर इंगित किया था कि प्रजातंत्र मात्र एक शासन पद्धति न होकर असंगठित भीड़ की...
More »न्यायपालिका के सामने विश्वसनीयता का संकट : चीफ जस्टिस
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वें स्थापना दिवस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने कहा कि देश की न्यायिक व्यवस्था के सामने सबसे बड़ा सवाल विश्वसनीयता का है. बडी संख्या में लंबित मामलों के चिंता का विषय होने के बीच प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि कई मौकों पर मामलों के निस्तारण में बार का रवैया बहुत सहयोगात्मक नहीं रहता है...
More »हमारे राष्ट्रवाद की अग्निपरीक्षा- हरीश खरे
जार्ज आर्वेल और उनके 1946 के लेख ‘राजनीति और अंग्रेजी भाषा' का स्मरण करिए। स्मरण करिए राजनीतिक संवाद में भाषा के प्रयोग के बारे में उनकी चेतावनी को : ‘राजनीतिक भाषा की रचना झूठ को सच जैसा और हत्या को आदरणीय कृत्य दिखाने, और कोरी हवाबाजी को वास्तविकता का जामा पहनाने के लिए की जाती है।' आर्वेल को यह समझने के लिए याद करने की जरूरत है कि जेएनयू प्रकरण...
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