कई देशों ने बीसवीं सदी में ही संपूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया और अपने समाज में शिक्षा के औसत स्तर को भी ऊपर उठाया। लेकिन भारत अब भी पूर्ण साक्षर नहीं हो सका है। एक तरफ हम ज्ञान आधारित समाज और डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन इस कड़वी सच्चाई को नजरअंदाज कर जाते हैं कि साक्षरता और शिक्षा के लिहाज से हमारे समाज की तस्वीर कैसी...
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बचा लें अपने बच्चों का बचपन-- आशुतोष चतुर्वेदी
पहले तनाव सिर्फ वयस्क लोगों में होता था, लेकिन अब इसकी चपेट में बच्चे भी आ गये हैं. बच्चों में तनाव सबसे अधिक पढ़ाई को लेकर है, माता-पिता से संवादहीनता को लेकर है. परिवार, स्कूल और कोचिंग में वे तारतम्य स्थापित नहीं कर पाते और तनाव का शिकार हो जाते हैं. हमारी व्यवस्था ने उनके जीवन में अब सिर्फ पढ़ाई को ही रख छोड़ा है. रही सही कसर टेक्नोलॉजी ने...
More »बच्चों को बीमार कर रही हैं बड़ों की उम्मीदें और दबाव- ऋतु सारस्वत
अवसाद अब बड़ों की व्याधि नहीं रही, वह बच्चों को भी गिरफ्त में ले रही है। हाल ही में ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति : कार्रवाई का सबूत' नामक विश्व स्वास्थ्य की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि भारत में 13 से 15 साल की उम्र के हर चार बच्चों में से एक बच्चा अवसाद से ग्रस्त है और आठ प्रतिशत किशोर चिंता की वजह...
More »बिहार: मानसिक रूप से बीमार महिला को अस्पताल ने मुहैया नहीं कराया स्ट्रेचर..
बिहार के आरा जिले में मानसिक रूप से बीमार एक महिला को अस्पताल में घसीटने का मामला सामने आया है। आरोप है कि महिला के पति को अस्पताल के स्टाफ ने स्ट्रेचर नहीं दिया, जिसकी वजह से उस महिला को घसीटकर वार्ड में शिफ्ट किया गया। बुधवार को हुई इस घटना के बारे में जब अस्पताल प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 32 साल की शकुंतला देवी मानसिक...
More »क्यों जरूरी हैं विश्वविद्यालय?-- मणीन्द्रनाथ ठाकुर
आज के युग में यह विचार करना जरूरी है कि क्या भारत जैसे देश में उच्च शिक्षा पर खर्च करना जरूरी है? आखिर विश्वविद्यालयों पर इतना खर्च क्यों किया जाये? क्यों नहीं विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ा दी जाये? क्या इतने सारे छात्रों को शोध में लगाना उचित होगा? इन सारे प्रश्नों को लेकर हमें सोच-समझ कर ही अपनी राय बनाने का प्रयास करना चाहिए. भारत एक विकासशील देश है और...
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