समाज में साहित्य के लिए जगह लगातार कम होती जा रही है। प्राय: ऐसा प्रतीत होता है कि समाज को साहित्य की कोई जरूरत नहीं है। समाज की प्राथमिकता से साहित्य का गायब होना चिंता से अधिक चिंतन का विषय है। साहित्य के नए पाठक बन नहीं रहे हैं और जो पुराने हैं वे धीरे-धीरे विदा हो रहे हैं। हम एक तरह से क्रमश: साहित्य विहीन समाज की ओर बढ़...
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'भारत' वाला बजट, इंडिया वाला नहीं-- संदीप बामजई
उपकार फिल्म का एक गाना है- मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरा मोती... आम बजट 2018-19 पूरी तरह से इस गाने के सच को पूरा करनेवाला लगता है. यह बजट कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है. यानी यह बजट 'भारत' को ज्यादा तरजीह देनेवाला बजट है, 'इंडिया' को कम. ग्रामीण भारत के लिए, गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के लिए, राष्ट्रीय राजमार्गों के...
More »BUDGET SPECIAL: क्या देश के किसान भी देंगे टैक्स?-- अभिजीत श्रीवास्तव
मोदी सरकार एक फ़रवरी को वित्त वर्ष 2018-19 का बजट पेश करेगी और इस बार इसमें कृषि को ख़ास प्राथमिकता दिए जाने की बात की जा रही है. सरकार अपनी आय बढ़ाना चाहती है और इसके लिए वो अधिक से अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाना चाहती है. इसी के मद्देनज़र नीति आयोग ने पिछले साल सरकार को कृषि को टैक्स के दायरे में लाने की सलाह दी थी. दरअसल, सरकार...
More »ट्रेनें लेट हुईं तो रेलवे की भरी तिजोरी, 9 माह में 18 करोड़ कमाई
रायपुर। रायपुर रेलवे मंडल ने अप्रैल 2017 से अब तक मात्र 9 महीने में सिर्फ टिकट निरस्त होने से 18 करोड़ रुपए अपनी तिजोरी में भर लिए। ट्रेन लेट होने या अन्य कारण से यात्री अपना टिकट रद कर देते हैं। ऐसा होने पर रेलवे नियम के अनुसार कुछ रकम काट लेती है। बीते साल में मेगा ब्लॉक अधिक बार रहा और इसके चलते ट्रेनें घंटों विलंब चलीं। इसी का नतीजा...
More »गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह
लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
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