-सत्यहिंदी, अशोक विश्वविद्यालय में एक के बाद एक प्रोफेसरों के इस्तीफे से सवाल उठ रहे हैं कि क्या देश के विश्वविद्यालय किसी राजनीतिक दबाव में हैं? यह सवाल तब भी उठे जब राजनीतिक विश्लेषक व लेखक प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा दिया और तब भी जब इसके बाद मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यन ने भी विश्वविद्यालय से इस्तीफ़ा दे दिया। अब प्रताप भानु मेहता का वह इस्तीफ़े वाला पत्र सामने आया है...
More »SEARCH RESULT
किसी को फ़र्ज़ी केस में फंसाकर उसकी ज़िंदगी ख़राब कर देना इतना आसान क्यों है
-द वायर, ‘कोई न कोई जरूर जोसेफ के के बारे में झूठी सूचनाएं दे रहा होगा, वह जानता था कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है लेकिन एक अलसुबह उसे गिरफ्तार किया गया.’ (Someone must have been telling lies about Joseph K, he knew he had done nothing wrong but one morning, he was arrested) बहुचर्चित उपन्यासकार फ्रांज काफ्का के उपन्यास ‘द ट्रायल ’ (The Trial) की यह शुरुआती पंक्ति, जो लगभग...
More »बिहार: अध्यापकों का डांस करना अपराध है, राज्यपाल निलंबित कर देते हैं!
-सत्यहिंदी, बिहार के छपरा स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के 16 अध्यापकों को विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष ने नाचने के चलते निलंबित कर दिया है। राज्य के सारे विश्वविद्यालयों के कुलाध्यक्ष राज्यपाल हुआ करते हैं। राज भवन ने बतलाया कि शिक्षकों का आचरण उनके पद की मर्यादा के विरुद्ध था। इसलिए उन्हें दंडित किया गया है। जाँच समिति के सदस्य निलंबित पिछले साल बाबू राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के समाप्त...
More »‘देश ख़तरे में है’ का हौवा स्वतंत्र विचारधारा वालों को प्रताड़ित करने का बहाना है
-द वायर, देश में आजकल हर चीज़ खतरे में दिखती है. चाहे धर्म हो, संस्कृति हो, सांप्रदायिक सद्भाव हो या समाज में शान्ति हो, सब बात-बात पर खतरे में बताए जाते हैं. हमारी स्त्रियां तक खतरे में बताई जाती हैं कि विधर्मी उन्हें बहला-फुसलाकर शादी करके धर्म परिवर्तन करा देते हैं. कितनी बार तो हमारा भूतकाल, जो बदल नहीं सकता, वो भी खतरे में बताया जाता है क्योंकि बहुसंख्यकवादी लोग ये आरोप लगाते...
More »पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?
-न्यूजक्लिक, नए कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के मोर्चे पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर किसान और सरकार आमने-सामने हैं। एमएसपी के निर्धारण और उसके आधार पर फ़सलों को ख़रीदने की सुनिश्चितता को लेकर इन दिनों एक लंबी बहस चल रही है। लेकिन, इस पूरी बहस के परिपेक्ष्य में कई ऐसे बिंदू छूट रहे हैं जिन पर किसानों को संदेह बढ़ता जा रहा है और इसलिए वे...
More »